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________________ 32. आवश्यकसूत्र क्र. स्वरूप कर्ता संवत् कृति विशेषनाम*भाषा गद्य-पद्य परिमाण*आदि-अंत*प्र.क्र. 1116 मूल (1) दूसरी 32. आवश्यकसूत्र (1116-1166) सुधर्मास्वामीजी वी.सं. पूर्वे | (प्रा.) * गद्य, पद्य * अ. 6→सूत्र 105 ग्रं.130 {णमो त्रीश वर्ष | अरहंताणं।..........सव्वसाहुणं।।1।। महत्तरागारेणं सव्ववैशाख समाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ।।4311) {958, 960, 964, 967, सुद 11 969, 971, 973, 977, 978, 979, 981, 982, 984, 987, 990, 991, 994, 995, 996, 997, 999, 1000, 1002, 1003, 1004, 1006, 1372, 1378, 1393, 1394, 1395, 1409, 1505, 1510, 1521,1687336) 1117 नियुक्ति (2) भद्रबाहुस्वामी वीरसदी (प्रा.) * पद्य * गाथा 1637 ग्रं.2500 {आभिणिबोहियनाणं, सयनाणं चेव...जं चरणगुणट्टिओ साह।।) {957, 958,962, 964,967, 971, 973, 977, 978, 979, 984, 985, 987, 988, 991, 992, 994, 997, 998, 999, 1002, 1003, 1004,1006, 1505, 1510, 1512327} 1118 भाष्य (3) |1| अज्ञात मूल भाष्य * (प्रा.) * पद्य * गाथा 253 {अवरविदेहे गामस्स चिंतओ...जम्हा विउ पमाणं।) {958, 964, 967, 971, 973, 977, 978, 979, 984, 987, 991, 992, 994, 997, 998, 999, 1002, 1003, 1004,1006, 1505,1510-22) | जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण शक-531# 'विशेषावश्यकभाष्य', सामायिक अध्ययन (अ. 1) की नियुक्ति का भाष्य, * (प्रा.) * पद्य * (अ. 1) →गाथा 3603 ग्रं.4000 {कयपवयणप्पणामो वोच्छं चरणगुणसंगहं...परि. कम्मिअमई जोग्गो सेसाणुओगस्स।।) {956, 957, 963, 966, 968, 970, 972, 974, 975, 980, 983, 986, 988, 989, 1066, 1727, 1729, 1733, 1734, 1735, 1742, 1744, 1746323} | 1120 | चूर्णि (4) जिनदासगणिजी महत्तर | | वि. 7332 (प्रा., सं.) * गद्य * (अ. 6) (गाथा 1719) ग्रं.19000 (नमो अरहंताणं....साहूणं। काउण...य सव्वेसिपि नयाणं०) {965, 993) 1121 टीका (5) |1| जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, | शक-5312 विशे.भा. की लघुवृत्ति * (सं.) * गद्य *(गाथा 4329) {प्रोच्यन्ते कोट्टार्यवादिगणिमहत्तर ह्यनेन जीवादयोऽस्मिन्निति...श्रीकोट्याचार्यवादिगणि महत्तरेण श्रीविशेषावश्यकलघुवृत्तिः।।{980) 2 | कोट्याचार्य सदी 8वीं | विशे.भा. की टीका * (सं.) * गद्य * (गाथा 4346) ग्रं.13700 {नतविबुधवधूनां कन्दमाणिक्यभासश्चरणनखमयूखैरुल्लसद्भिः...भवतीत्यत आह- शेषानुयोगस्य' दशवकालिका चाराद्यनुयोगस्येति।। {966, 972, 986) | 3 | हरिभद्रसूरि वि. 833# 'शिष्यहिता वृत्ति' * (सं.) * गद्य * (गाथा 1623), प्रशस्ति श्लोक-3 ग्रं.22000 {प्रणिपत्य जिनवरेन्द्र, वीरं...अंकतोऽपि ग्रन्थाग्रं 22000} {958, 973, 978, 984, 999, 1003, 100637} 4 | हेमचंद्रसूरि (मलधारी) वि. 1175 विशे.भा. की शिष्यहिता टीका * (सं.) * गद्य * (अ. 1) (गाथा 3603), प्रशस्ति श्लोक-11 ग्रं.28000 {श्रीसिद्धार्थनरेन्द्रविश्रुतकुलव्योमप्रवृत्तोदय: सद्बोधांशुनिरस्तदुस्तरमहामोहान्ध
SR No.002326
Book TitleAgam Prakashan Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNirav B Dagli
PublisherGitarth Ganga
Publication Year2015
Total Pages392
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size12 MB
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