SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लाभ लिया । इसी कड़ी में श्री शान्तिलालजी | पूज्य गुरुभगवंत के दक्षिण भारत में पाँच वर्ष ओस्तवाल, धनपतराजजी बोहरा, अभयकुमारजी । के विहार-प्रवास में पूज्य श्रीजी को चालीस से अधिक बांठिया, सम्पतराजजी देवड़ा एवं सम्पूर्ण बेंगलोर | क्षेत्रों से चातुर्मासार्थ पूरजोर विनतियाँ हुई है । गुरुदेव के श्रावक श्राविकाओं का आभार प्रकट करते हैं, जिन्होंने | ने अपने 25 वर्ष की दीक्षा तप साधना में करीब 40 इस चातुर्मास को अविस्मरणीय बनाने में अथक सहयोग | हजार किलोमीटर का विहार कर धर्म की प्रभावना की दिया। है। यह विहार भारत के करीब 13 राज्यों में हुआ । श्री संघ की ओर से हम आभारी हैं ऊटी श्री शान्तिनगर चातुर्मास के दौरान मुनिश्री को संघ के, विशेष रूप से अध्यक्ष श्री सोहनलालजी | बल्लारी, शिमोगा, हैदराबाद-सिकन्द्राबाद, मुथा मंत्री धनराजजी टाटिया (टाटिया रिसोर्ट वाले) | मेट्टपालयम, त्रिचन्नापल्ली एवं भोपाल आदि क्षेत्रों एवं शांतिलालजी पीपाड़ा एवं मैसूर श्री संघ को | से आगामी चातुर्मास के लिए विनतियाँ हुई है। फिलहाल धन्यवाद संप्रेषित करते हैं जिन्होंने चातुर्मास कराने | गुरुभवन्त के बेंगलोर के उपनगरों में विचरण करने एवं चातुर्मास काल में शांतिनगर श्री संघ को पूर्ण की संभावना है। कहने को तो बहत कछ है लेकिन रुपेण सहयोग प्रदान कर हमें उत्साहित किया । । वैसे ही मैंने आपका समय कुछ अधिक ले लिया है। पर जो जिम्मेदारी मंत्री के नाते मुझे श्री संघ ने सौंपी श्री संघ शान्तिनगर बहुत-बहुत आभारी है, है इसको मद्देनजर चातुर्मास की उपलब्धियों को आपके श्रीमान झुमरलालजी समदड़िया परिवार एवं श्रीमान समक्ष रखना मेरा दायित्व है। उसका निर्वहन मैंने दानमलजी जुगराजजी सिंघवी परिवार का जिन्होंने किया है। अंत में पुनः एक बार गुरुदेव, आप सभी से मुनि श्री को ठहरने के लिए अपने समदड़िया निवास भवन की आज्ञा दी एवं आवास-निवास हेतु भवन की एवं शान्तिनगर श्री संघ से लुणावत परिवार की ओर से कोई भी त्रुटि हुई हो तो क्षमायाचना चाहते हैं। व्यवस्था की। मुनिश्री के दर्शनार्थ हुबली, भद्रावती, श्रीगुप्पा, छगनलाल लुणावत बाणावार, अरसीकेरे, रायचुर, सिंधनुर, चन्नरायपटना, श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन मेंगलोर,कालीकट,कन्ननूर,वेलीपुरम, कोयम्बतूर, श्रावक संघ शांतिनगर, बेंगलोर आरकाट, इरोड़, सेलम, त्रिचनापल्ली, तिरुवन्नामलाई, तिरकोईलुर, विल्लीपुरम, वेलूर, संघ मंत्री के उद्बोधन के ठीक पश्चात हमारे तिंडीवनम्, चेंगलपेट, मद्रास व अनेक उपनगरों से संघ के अध्यक्ष श्री मोहनलालजी मूथा द्वारा सभा विरंजीपुरम, मुलबागल, के.जी.एफ.गुडीयात्तम, को जब यह सूचित किया गया कि हमारे शांतिनगर में कोलार, होसकोटे, चिक्कबालापुर, डोड्बालापुर, स्थानक भवन के लिए स्थल तय कर दिया गया है, यलहंका, चित्रदुर्गा, मुडबिदरी, इन्दौर, भोपाल, उस समय जन समूह के उत्साह-हर्ष का ठिकाना नहीं हैदराबाद-सिकन्द्राबाद, येवला तथा महाराष्ट्र-गुजरात, रहा। राजस्थान, दिल्ली, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, पत्र व्यवहार का पता : मध्यप्रदेश सहित भारत के अनेक प्रांतो से हजारों कावेरी पेपर डिस्ट्रीब्युटर्स श्रद्धालु पधारे एवं दर्शन वन्दन का लाभ लिया । 34/70 जुम्मा मस्जिद रोड़, उनके भी हम आभारी है। बेंगलोर - 560002 मंत्री
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy