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________________ इतिहास में अपने आप में पहला मौका है। कार्यक्रमों श्राविकाओं एवं शांतिनगर के निवासियों से नम्र निवेदन के दौरान दिल्ली से पधारी बहन डॉ. कंचन जैन व है कि कृपया प्रार्थना एवं शिविर कार्यक्रम में अधिक से श्रुति जैन, इन्दौर से कस्तूरचंदजी ललवाणी अधिक संख्या में भाग लेकर लाभान्वित होवें । शान्तिलालजी राजेन्द्रजी ललवानी सपरिवार तथा श्रीमान शांतिलालजी डुंगरवाल, जिन्होंने दिल्लीसे श्रीमती पूनमजी बाफना, बेंगलोर (बर) से पूर्व में भी अपनी सेवाएँ हमें दी हैं, वे ही उक्त वरिष्ठ श्रावक शांतिलालजी बोहरा, कुंदनमलजी कार्यक्रमों का संचालन करेंगे । पधारे महानभावों से भंडारी, प्रकाशचंदजी दक, सपना बुक हाऊस के निवेदन है कि कपया अपनी जगह पर खडे होकर चेयरमैन सुरेशजी सी. शाह के हम विशेष रुप से गुरुदेव को वंदन करते हुए यह विश्वास व्यक्त करें कि आभारी हैं। नगर के विभिन्न संघों, संस्थाओं व चातुर्मास पश्चात भी आपकी दिखाई धर्म की पगडंड़ी व्यक्तियों तथा देशभर से आए श्रद्धालुओं ने हमारा पर निरन्तर चलते रहेंगे। उत्साहवर्धन किया और चातुर्मास को यशस्वी बनाने में उल्लेखनीय सहयोग दिया । हम उन्हें धन्यवाद मैं यहाँ आपको स्मरण दिलाना चाहूँगा कि देते हैं। इस चातुर्मास दौरान सव्यवस्थित व्यवस्था गत वर्ष सन् 2002 ऊटी चातुर्मास के दौरान 50 हेतु श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन नवयुवक मंडल, घरों में 126 बड़ी अट्ठाई या ऊपर की तपस्या की शांतिनगर एवं श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन महिला सांकल चली थी और दीपावली के बाद 23 अट्ठाईयाँ मंडल, शांतिनगर का सहयोग प्रशंसनीय एवं हुई थी। उसी कड़ी में इस वर्ष शान्तिनगर में भी अनुमोदनीय रहा। चातुर्मास प्रारम्भ से अब तक अट्ठाई एवं ऊपर की सांकल अर्थात् चेन चली एवं अभी यहाँ पर तपस्याएं चातुर्मास के दौरान मुनिवर के वचन सुदूर चालू हैं। दक्षिणांचल के छोटे-छोटे गाँवों में भी पहुँच सके तो इसका श्रेय राजस्थान पत्रिका को जाता है । पत्रिका इस वर्ष चातुर्मास काल में मुनिश्री ने प्रतिक्रमण के प्रभारी संपादक भाई दिलीपजी चारी और उनके सूत्र का विवेचन गहराई से किया । साथ में नंदीसूत्र, सहयोगी संतोषजी पांडेय ने चातुर्मास से जुड़ी खबरों उत्तराध्ययन सूत्र, दशवैकालिक सूत्र, अन्तगढ़ सूत्र, को प्रमुखता से छापा, हम उनके आभारी हैं । इसी चऊसरण पइण्णा, वैराग्य कुलक, तत्वार्थसूत्र तथा तरह धीर, तीर, दक्षिण ध्वज, धरती और इन्सान, | थोकड़ों का अध्ययन-वांचन कराया । दिल्ली से पधारी मोक्षद्वार तथा अन्य कई समाचार पत्रों ने भी हमें सुश्री डॉ कंचनबहन एवं सुश्री श्रुतिबहन ने अन्तगढ़ पर्याप्त सहयोग दिया उनके प्रति भी सूत्र का वाचन पर्युषण पर्व पर विशेष शुद्धि एवं उच्च आभार। समुच्चारण द्वारा बेंगलोर के धर्मप्रेमियों को लालबाग के सिल्वर जुबली हॉल में सुनाया, जो अविस्मरणीय गरुदेव को एक बार पनः विश्वास दिलाते हैं कि आपके दिखाये हए सदमार्ग की ओर निरन्तर अग्रसर रहेंगे, ऐसी हमारी भावना है। नित प्रातः 6 हमारे शांतिनगर के ऐतिहासिक चातुर्मास काल 30 बजे से 7-30 बजे तक प्रार्थना का कार्यक्रम शांतिनगर के चार महीनों तक मुनिश्री की सेवा में हलसूर के में यथावत रहेगा। साथ ही प्रत्येक रविवार को शिविर | वयोवृद्ध सुश्रावक तत्वज्ञ स्वाध्याय प्रेमी तपस्वी-बर का आयोजन भी किया जाएगा, जो 6-00 बजे तक | रत्न श्री शांतिलालजीसा बोहरा समदडिया भवन. • प्रार्थना पश्चात चलेगा । शिविर पश्चात अल्पाहार की | शान्तिनगर में ही बिराजे एवं उनकी सेवा में उनके भी व्यवस्था रखी गई है । समस्त पधारे श्रावक, | सुपौत्र श्री आनंद, रोहित, रितु एवं विशाल ने भी
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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