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299) जो मुसीबतों का बोझ उठा सकता हो, | 314) समय : हम समय के बदलने की प्रतीक्षा
वही सफल जीवन का अधिकारी बनता है। करने लगते हैं, तो समय हमें बदल देता 300) तीन को समझना मुश्किल है : 1) दुष्ट 2)
मूढ़ 3) व्युद ग्राहित (भरमाया हुआ) | 315) अन्तर : संभव व असंभव का अन्तर मनुष्य 301) आप आपरी शोभा करे, याही जगत री
के संकल्प पर निर्भर करता है। रीत। ऊँटजी रा व्याव में गधा गावें गीत । | 316) किसान को धरती पर, बालक को माता 302) आप भाई का बेड़ा पार करे, आपका बेड़ा
पर विश्वास होता है । अपने को गुरु पर पार अपने आप हो जायेगा ।
विश्वास होना चाहिए। 303) स्वप्न सुंदरी? सौन्दर्य प्रतियोगिता में
| 317) शुभ संकल्प : मैं जैन हूँ, मैं जिन अनुयायी सबसे पीछे रहने वाली है।
हूँ। देवाधिदेव, अरिहन्त मेरे देव हैं। सुसाधु
मेरे गुरु हैं । जहाँ दया है, वहाँ धर्म है । 304) गलती : एक ही गलती को बार बार दोहराना,
दया-धर्म को स्वीकार करता हूँ। एक ही पत्थर से दो ठोकर खाना हैं ।
318) मन, वचन, काया को पवित्र रखना ही धर्म 305) चूक : छोटी सी चूक कभी-कभी बड़ी गिरावट
की नीव हैं। का कारण बन सकती है।
319) इन्द्रियों को करो - दमन 306) आँख : आँख की हरकत हमारे हृदय की स्थिति को व्यक्त कर देती है।
कषायों को करो - “शमन" 307) भाषा : आँख हृदय की भाषा है, होंठ दिमाग
विषयों को करो . “वमन" की भाषा है।
गुरुदेव को करो - “नमन" 308) आत्मदान : अपने को देकर (अभिमान को | 320) पुण्य से सुख नहीं - सुख के साधन मिलते
देकर) सब कुछ पाया जा सकता है। 309) अहंकार : अहंकार की हर जीत, अंततः । 321) तन्दुरस्ती में दान सोने जैसा, बीमारी में हार में बदल जाती है।
दान चांदी जैसा, मृत्यु में दान सीसे जैसा, 310) आज : आज भविष्य का सूत्रधार है।
इसलिए कहावत है। दिया हाथे, चाले
साथे। 311) भय : भय वह डार्करुम है, जहाँ नेगेटिव
22) चलो ! भगवान के धर्म के वारिस बन विचार आते है।
जावे | उससे पहले शर्त इतनी है कि पहले 312) कारावास : कोई बंद हृदय ही सबसे बड़ा
मनुष्य बन जावें। कारावास है।
323) सुख-दुःख को याद कर, सुन पुराना 313) युग : ऐसा कोई युग नहीं रहा जिसमें अतीत
इतिहास । किसी समय राज मिले, किसी का गुण गान और वर्तमान का विभाजन न
समय वन वास ।। किया गया ।