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277) जिसकी दृष्टि अभाव पर, वह असंतोषी, | 289) हम कहाँ हैं? उसकी जगह हमारे में कौन वह असुखी।
बैठा है? इसका महत्व अधिक हैं। 278) धरती कहती है कि, अरबों लोगों के पेट के | 290) Main Gate पर ये अवश्य लिखो कि सभी खड्डों को मैं भर सकती हूँ, परन्तु इच्छाओं
के बिना चल सकता है, धर्म के बिना का खड्डा, एक व्यक्ति का भी भरना तो
नहीं। मेरी ताकत के बाहर की बात हैं।
291) मकान छोटा या बड़ा, जैसा भी हो, चल 279) अनन्त ज्ञानियों का सूत्र है : आवश्यकतायें सकता है, परन्तु मन को तो मोटा (बड़ा) जितनी कम होंगी, प्रसन्नता उतनी अधिक
रखना, सुखी बनने का श्रेष्ठ उपाय है। मिलेगी।
292) तुम्हारे से कोई डरे - उस जीवन की बजाय, 280) दूसरों पर दोषारोपण करने वाले जरा, अपने तुम्हारे को कोई नमस्कार करे (प्रणाम) श्रेष्ठ अंतरंग में झांककर तो देख, कि हम कितने
जीवन हैं। दूध के धुले हैं, कितने गहरे पानी में हैं।
293) जो तुम नायक बनना चाहते हो तो पहले 281) अहम्, आलस व अभिमान, करे मानव
लायक बनो। जीवन वीरान ।
294) जो सहन करता है, वो ही वहन कर सकता 282) जिन्दगी एक झूला है, कभी ऊपर, कभी नीचे ।
295) जिससे घटे पाप, जिससे मिटे ताप, जिससे 283) पेट बिगड़े वैसा खाना नहीं, मन बिगड़े
शांत होवे संताप, उसे कहते हैं जाप ।। वैसा सोचना नहीं, जीवन बिगड़े वैसा आचरण करना नहीं, मृत्यु बिगड़े ऐसा पाप करना
| 296) भगवती सूत्र में : तमेव सच्चं निसंकं, जं नहीं।
जिणेहिं पवेइयं, अर्थात जो जिनेन्द्र भगवान
ने फरमाया है, वही सत्य और निःशंक है। 284) याद रखें : आत्मा है, नित्य है, कर्म का
कर्ता है। कर्म का भोक्ता है, मोक्ष प्राप्त 297) आठ वचन व्यवहार : करने का उपाय है।
पहला बोल - थोड़ा बोल |
दूसरा बोल - मीठा बोल | 285) ज्ञानी जितने कर्म एक श्वासोश्वास में खपाता
तीसरा बोल - जरुरत होने पर बोल | (क्षय करता) है, उतने कर्म अज्ञानी करोड़ों
चौथा बोल - चतुराई से बोल | वर्षों में खपाता है।
पाँचवा बोल - घमंड से मत बोल। 286) नमस्कार पद पाँच है, पाप तणा हणनार |
छठाँ बोल - मर्म कारी भाषा मत बोल | सर्वजात के काम में, मंगल के करनार |
सातवाँ बोल - सूत्र के अनुसार बोल । 287) धर्म बाड़ी न निपजे, धर्म हाट न बिकाय, आठवाँ बोल- सभी जीवों के लिए साताकारी
धर्म विवेक निपजे, जे करिये ते थाय ।। बोल | 288) कषाय करो कम, खावो सदा गम। | 298) सभी आशाएँ पूर्ण होती नहीं, जैसे सभी
कषाय पर करे काबू, सदा रहे आबू । । रात्रियाँ पूर्णिमा होती नहीं।