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________________ 223) "प्रेम से बोल" 2) चुप रहने के समय चुप न रहना । 224) एक छत के नीचे रहने से शांति नही मिलती, 236) धर्म प्राप्त करने के लिए वैर भाव को एक समता-सौम्यता से रहने पर शांति छोड़ना। मिलती है। 237) सद्भाव को ग्रहण करना अति जरुरी है, 225) होंठ का हृदय में, जीभ का जीवन में, मुख क्योंकि पाप से भी कुसंस्कार भयंकर होते का मन में, आ जावे तो समझो मोक्ष नजदीक 238) प्राप्त करने में पुरुषार्थ, भोगने में संयम 226) निसरणी शरीर को ऊपर चढ़ाती है, सम्पति और छोड़ने में आत्मिक शक्ति चाहिए । दिमाग को ऊपर चढ़ाती है, परन्तु सद्गुण 239) बेचैन मत होवो, तुम्हारे दोष देखने वाले आत्मा को मोक्ष पहुँचाता है । पर ! तुम्हारे दोष को, निकालने में वे मदद 227) तुझ में राम, मुझ में राम, सबमें राम करते हैं। समाया है । करलो सभी से मैत्री, जगत 240) जीवन में सादगी, संयम होगा तो, शान्ति में कोई नहीं पराया है। का अनुभव होगा। 228) शब्दों की ताकत परमाणु बम से भी अधिक | 241) बुद्धिमान बनने के दो उपाय : 1) थोड़ा पढ़ना, अधिक सोचना 229) संपति (Lease-समय सीमा)से मिली वस्तु 2) थोड़ा बोलना, अधिक सुनना । है। जब कि सद्गुण ओनरशिप (Ownership) 242) प्रतिष्ठा बढ़ाने के दो उपाय : से मिली वस्तु हैं। 1) हाथ की सच्चाई 230) पैसे से सुविधाएँ मिलती है, जब तक पुण्य 2) बात की सफाई का प्रभाव है, परन्तु सदगति तो परमात्मा 243) दो बातें निश्चित हैं : के धर्म से ही मिलती है। 1) जन्म के पीछे मरण 231) शरीर के सम्बन्ध में डॉक्टर की सलाह जरुरी है, आत्मा के सम्बन्ध में गुरु की 2) संयोग के पीछे वियोग सलाह जरुरी हैं। 244) संख्या की नहीं, गुण की कीमत है। 232) मन के पाप चिन्तन से, वचन के पाप जाप 245) भाग (बँटवारा) और भाई, इन दोनों की से, काया के पाप सेवा से क्षय होते हैं। पसंदगी में भाई को ही पसंद करना, बँटवारा तो दुश्मन से भी ले सकते हैं, परन्तु भाई 233) समझदारी का देव दूत जहाँ है, वहाँ स्वर्ग भाग्य से ही मिलता हैं। 246) तुम्हारे नाम के (पहले) आगे स्व (स्वर्गीय) 234) जहाँ नादानी है, वहाँ बारह मास दुःख हैं। लगे, उससे पहले स्व. (आत्मा) को पहचान 235) दो घटनाएँ मन की निर्मलता बताती है । लो। 1) बोलने के समय चुप रहना, 247) भगवान की सदा (कृपा लपी) अमृत वर्षा
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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