________________
25 ) सामर्थ्य है विभिन्न देवों का
सुवर्ण कुमार अपने शरीर की चमक से जंबूद्वीप को रोशनी से भर दे । विद्युत कुमार अपनी विद्युत शक्ति से एक चमक से सम्पूर्ण जंबूद्वीप को प्रकाशित कर दे । अग्नि कुमार एक चिनगारी से संपूर्ण जंबूद्वीप को जला सकता है । द्वीपकुमार अपनी हथेली में जंबूद्वीप को ररव सकता है । दिशा कुमार एक चरण से जंबूद्वीप को कंपित कर देता है। है ना देवों का सामर्थ्य | परंतु त्याग व्रत नियम नही ले सकते हैं।
पन्नवणा 26) काल चक्र ' जैन दर्शन में समय के माप के लिए अनेक
संज्ञाओं के नाम दिये हैं, एक संज्ञा (नाम) है - पल्योपम ।
4 गाउ लम्बा - चौड़ा गहरा कआँ, जिसमें जुगलिया के बाल (अपने बाल से 4096 गुणा पतले) के अग्र भाग के असंख्य टुकड़े कर के कुआँ भरा गया । 100 - 100 वर्षों से एक बाल निकालते निकालते जब आँखाली हो, जितना काल लगा, उस काल को “एक पल्योपम" कहते है। ऐसे 10 करोड़x10 करोड़ पल्योपम= 1 सागरोपम काल, ऐसे 10 कोड़ाकोड़ी सागरोपम काल=1 उत्सर्पिणी व अवसर्पिणी होती है। एक अव० + एक उत्स. = 1 काल चक्र होता है । काल के अविभाज्य अंश को समय कहते है।
अनुयोगद्धारसूत्र 27) एक पल में असंख्य समय होवे
काल का माप समझना कैसे? सर्वज्ञ फरमाते है कि समय छोटे से छोटा माप है। आँख की पलक झपकाने में असंख्य समय होते है । जिस तरह नागरवेल के पान पर एक पर एक 100 की थप्पी रखी हो, बलवान पुरुष तलवार या सूई से मार या छेद करे, 1 पल मात्र में सबका छेदन भेदन हो जाता है। पहले उपर का पान फिर नीचे का पान, इस तरह क्रमशः
छेदन होता है, पहले से दुसरे पान (पत्ता) तक पहुँचने में असंख्य समय लगते है, ऐसा सूक्ष्म माप है | समय एक सेकंड में असंख्य समय बीत जाते है । एक अवसर्पिणी में असंख्य समय होते है।
अनुयोगद्धार सूत्र 28) प्रति समय अनंत जीवों का मरण
प्रति समय अनंत जीव वनस्पति काय से मरकर वनस्पति में जन्म लेते है | चार स्थावर के जीव प्रति समय पांच स्थावर में असंख्य असंख्य निरन्तर जन्म लेते है | हर समय जन्म व मरण हो रहा है। पांच स्थावर के जीवों का । अल्प आयुष्य उसमें भी अति अल्प आयुष्य जीवों की क्या दशा है । एक घड़ी भर भी जहां जीवन नही मिलता है।
जीवाभिगम सूत्र 29) 14 पूर्वो का ज्ञान कितना ?
बारहवाँ अंग दृष्टिवाद सूत्र है । 14 पूर्वो के ज्ञान का समावेश इस दृष्टिवाद मे ही माना गया है। अम्बाड़ी सहित हाथी जितनी, सुखी स्याही से लिखा गया ज्ञान एक पर्व का ज्ञान होता है । आगे पूर्वो के ज्ञान मे दुगना करना । 1-2-4-8-16 आदि करते करते 14 वें पूर्व तक कुल 16383 हाथी प्रमाण | इतना ज्ञान, लब्धि से एक मुहुर्त में चितारना कर लेते है ।
ग्रन्थों के आधार 30) एक मुहुर्त में कितने मरण?
मनुष्य को 100 वर्ष के जीवन में कितनी कितनी दवा, औषध, भोजन पानी लेना पड़ता है ? परन्तु पाँच स्थावरों के जीवन मरण को देखो, कितना जल्दी जीवन छोड़ देते है, साधारण वनस्पति उत्कृष्ट भव एक मुहुर्त मे 65536 बार करते है। शेष चार पृथ्वी अप, तेउ, व वायु ये चार एक मुहुर्त में 12824 बार करते है।