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________________ 62) किसी की खुशामदी करोगे - वह तुमको आदर | 77) किसी वस्तु की तीव्र चाहना हो तब, वह वस्तु देगा। जिसके पास है, उसको देखो। उसकी निंदा-बुराई करो - उसको तुम अच्छे । 78) जब तक पुल पार न करो, तब तक बीच में नहीं लगोगे। उसकी चिन्ता न करो। उसकी उपेक्षा करो - वह तुमको माफ नहीं - 79) जो काम कभी भी कर सकते हो, वह कभी भी करेगा। नहीं होता है। उसको उत्तेजना दो - वह तुमको भूलेगा | 80) कार्य शुरु करने से पहले हजार बार सोचो, नही। कार्य शुरु करने के बाद पूरा करके ही छोड़ो। 63) सुननी सबकी - करनी मन की । 81) अति निकटता (आत्मीयता) घृणा में भी 64) विचार करो तुम, काम मशीन से करो - परिवर्तित हो सकती है। - खाली बेगार । 82) सोये हुए सिंह को मत जगाओ । 65) छोटी बात को बड़ी मत बनाओ। 83) किसी काम को करना हो तो Busy व्यक्ति 66) गुणवत्ता को हमेशा प्रधानता देवें । को सौंपना । 67) धीरे चलो, परन्तु आगे बढ़ो 84) जो काम खुद कर सकते हो, उसे दुसरो से मत कराओ। 68) एक कदम से हजारों किलोमीटर कटते है । जो काम आज कर सकते हो उसे कल के 69) तुम कितनी भी स्पष्ट बात करो, लोगो में भरोसे पर मत छोड़ो। थोड़ी गैर समझ तो होगी ही । 86) भीड़ का अनुकरण मत करो, भीड़ प्रायः 70) तुम्हारी कार्यक्षमता को गुप्त रखना, ये सबसे गलत निर्णय देती है। बड़ा कौशल है। 87) भागीदारी में समान भाग मत रखो । 71) अनीति व सरलता से प्राप्त किया धन लम्बे काल तक नही टिकेगा। 88) तुम्हारे मित्र को नौकरी पर मत रखो, उसके पुत्र को रखो । 72) गुलाब का फूल चाहिए तो कांटे तो मिलेंगे 89) जो बनो तो श्रेष्ठ बनो, जो बनाओ तो ही। श्रेष्ठ बनाओ। 73) मन हो तो, मालवा जाना होता है । "दृढ़ __ संकल्प के सामने कुछ भी अशक्य नहीं" । 90) याद रखो ! तुम्हारे सिवाय दुनिया में कोई भी व्यक्ति तुम्हे दीन नही बना सकता है । 74) पीसी हुई औषध (घोटी) और मूंडा हुआ जोगी । इनकी पहचान होनी मुश्किल है। 91) आज हँसो, कल की किसको खबर है, कदाचित् दुःख आवे । 75) आज विचारो - कल बोलो । 92) आज का समाज, मोटर कार जैसा नही 76) तुम्हारे दुश्मन का भी बुरा न बोलो । क्योंकि है, परन्तु टट्टू जैसा है कभी भी तुम्हे लात वह कल तुम्हारा मित्र बन सकता है । मार सकता है।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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