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30) जो मनुष्य सही में यदि जानता है, तो उसको | 46) स्मरण शक्ति पर विश्वास मत रखो, डायरी चिल्लाने की कोई आवश्यकता नहीं।
रखो । उसमें लिखलो । 31) मित्रों की टीका एकान्त में करो, किन्तु प्रशंसा 47) दूसरो की भूलों से सीख लो। जाहिर में करो।
48) सद्कार्य कभी खाली नहीं जाता है । 32) वायदे की कोई कीमत नही होती है, प्रत्येक
49) एक छोटा सा छेद बड़े जहाज को डूबा देता वायदा झूठ बनने के लिए बना हैं । 33) खोटा सिक्का हमेशा वापस आवेगा ।
50) नम्रता से प्रत्येक दरवाजा खुलता है। 34) सभी का मित्र, किसी एक का भी मित्र
51) किसी व्यक्ति को उपकार के नीचे दबाना, नहीं।
अर्थात् उसको दुश्मन बनाना है । 35) जिसकी शुरूआत अच्छी, उसका अन्त भी
52) ज़रुरत, कानून को नहीं पहचानती है। अच्छा ।
53) ऊँचा चढ़ता है, गिरता है (अभिमानी) 36) हँसता हुआ चेहरा नहीं रखनेवाले को व्यापार नहीं करना चाहिए।
54) फटा कपड़ा और दुबले पतले माता पिता
से शरमाना नही। 37) सभी चमकने वाला सोना नहीं होता।
55) मूर्ख स्वयं की भूल से शिक्षा सीख लेता है। 38) वैभव को जरुरत मत बनाओ।
समझदार दूसरो की। 39) निष्फलता को अभ्यास से सफलता में बदला
आटा फाँकना और बोलना ये दोनों साथ नही जा सकता हैं।
होते। 40) जब कुछ भी नही कहने का होता है, तब 57) एक नौकर - तुम्हारा सब काम करेगा । स्मित (मुस्कान) अवश्य करो ।
दो नौकर - तुम्हारा आधा काम करेंगे। 41) अनेक लोगों को बुलावो मदद के लिए, थोड़े
तीन नौकर - स्वयं तुमको काम करना ही आयेंगे।
पड़ेगा। 42) आज, ये आने वाली कल है, जिसकी तुम
58) अपने दुश्मनों की बजाय - मित्रों से सावधानी बीती कल की चिन्ता करते थे ।
रखो। 43) तुम्हारी जीभ लपसने वाली जगह पर है, |
59) जो वृक्ष छाया देता हो, काटो मत | ये लपसे (फिसले) नहीं, इसका ख्याल रखें।
60) दो समय, जुआ कभी भी मत खेलना 44) अच्छी पत्नी की इच्छा रखने वालों को, पहले अच्छा पति बनना चाहिए।
1) जब तुम्हारे पास सम्पत्ति हो । 45) जो बात तुम तुम्हारे दुश्मन को नहीं कह |
2) जब तुम्हारे पास सम्पत्ति न हो। सकते हो, उसको कमी तम्हारे मित्र को भी
(अर्थात् जुआ कभी मत खेलना) नहीं कहना । (आज मित्र है, कदाचित् कल | 61) लम्बे समय तक बेकार रहे हुए आदमी को दुश्मन बन जावे)
नौकरी में मत रखना।