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________________ अच्छी बातें 1) प्रातः काल ब्रह्म मुहुर्त में उठ जाना । 2) माता-पिता, बड़ो व गुरुजनों का वंदन आदर करना। 3) क्रोध का प्रसंग उपस्थित होने पर भी शांति धारण करना । 4) भय व शंका रहित जीवन का नाम ही आत्म विश्वास हैं। 5) दिल को सुधार लो, दुनिया स्वयं सुधर जाएगी। 6) उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो, न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए। मूल्यवान व मूल्यांकन 1) पैसे से पदार्थ अनंत गुणा मूल्यवान है । 2) पदार्थ से शरीर अनंत गुणा मूल्यवान है । 3) शरीर से वाणी अनंत गुणा मूल्यवान है। 4) वाणी से मन अनंत गुणा मूल्यवान है। 5) मन से आत्मा अनंत गुणा मूल्यवान है। चार इन्द्रिय दमन, कषाय - शमन विषयों का वमन, गुरुदेव को नमन ! प्रतिज्ञा 1) मैं तीर्थंकर (भगवान) परमात्मा का अनुयायी हूँ। 2) दया मेरा धर्म है । धर्म ही मेरा प्राण है। 3) मेरी हाड़ व मज्जा में जिनवाणी पर श्रद्धा है। (अट्ठि मिज्जा पेमाणु...) 4) धर्म के लिए मेरा जीवन न्यौछावर है। 5) मेरा अन्तिम लक्ष्य मोक्ष है । संकल्प मैं जैन हूँ ! मुझे जैन होने पर गर्व है। देवाधिदेव अरिहंत भगवान मेरे देव है। सुसाधु मेरे गुरु है । जहाँ दया है वहाँ धर्म है । मैं स्वयं को मेरे देव गुरु धर्म के प्रति समर्पित करता हूँ। रात्रि सोने के पहले अवश्य करना ही है । 1) (एक सौ आठ बार) परमेष्टी की एक माला फेरना 2) पुरे दिवस में की गई अपनी गलतियों का अवलोकन व क्षमा देना - लेना । 3) सोते समय सागारी संथारा लेना । 4) महापुरुषों व सतियों को नमन करना । पवित्रता मन, वचन व काया को पवित्रता से रखना ही धर्म की नींव हैं। मन के विचारों को और स्वप्नों को काबू में रखने वालों को धन्य धन्य है। उनको लाख लाख बार प्रणाम करता हूँ। कर विचार सना - वास - ना, प्रभु वास - नही, उसे कहते है वासना । विचार - विशेष चिन्तन से रहना ! विवेक - हंस बुद्धि वत् (नीर-क्षीर न्याय) आत्मा के स्वाभाविक गुण 1) सम्यक् दर्शन 2) सम्यक् ज्ञान 3) विरति 4) अप्रमत्तता 5) संज्ञा रहित 6) अकषाय 7) अवेदी 8) अविकारी 9) अनाहारक 10) अभाषक 11) अयोगी 12) अलेशी 13) अशरीरी 14) अपौद्गलिक आत्मा - तीन बाह्य आत्मा - अज्ञानी आत्मा अन्तर आत्मा - शोधक आत्मा परमात्मा - सिद्ध व अरिहंत
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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