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________________ “वर्ष २००६ का मणिबेन कीर्तिलाल । चम्पालालजी पालरेचा ने पूरे चार मास तक एकासना मेहता आराधना भवन कोयम्बत्तूर में किये। व पूरे चार मास तक स्थानक में रहकर धर्मध्यान प्रथम ऐतिहासिक चातुर्मास सानंद करने का व्रत लिया। अनेकों भाई-बहनों ने चार मास बियासना, सम्पन्न” एकासना के तप किए। यहाँ (मणिबेन कीर्तिलाल मेहता आराधना भवन में) इस आज के नवयुवक धर्म का रास्ता वर्ष पूज्य गुरुदेव स्वर्गीय श्री चम्पालालजी म.सा एवं छोड़कर गलत रास्ते न जावे, ज्ञान गच्छाधिपति श्रुतधर श्री प्रकाशचंदजी म.सा के शिष्य श्री विनयमनिजी म.सा का यहीं मुख्य लक्ष्य है। पंडितरत्न शिविराचार्य पूज्य श्री विनयमनी म.सा खींचन' इसको लक्ष्य में रखते हुए शुरु से ही 'युवाउत्कर्ष संस्कार का चातुर्मास आराधना भवन परिवार को मिला। आराधना शिविर' प्रतिदिन प्रातः ८.०० से ९.०० बजे तक शुरु कर भवन में यह पहला चातुर्मास है। पूज्य गुरुदेव चामराजनगर, दिया था। जिसमें लगभग १२५ नवयुवक तथा नवयुवतियों नंजनगुड़, गुंडलपेट, मैसुर, ऊटी, कुन्नूर व मेट्टपालयम ने निरंतर भाग लिया और जैन धर्म को पहचाना। कई होते हुए दि. १९-०६-२००६ को कोयम्बतूर पधारे। नवयुवक यह कहते पाये गये की हमने पहली बार अपने दि.२३-०६-२००६ का दिन स्वर्ण अक्षर में लिखा जैन धर्म के बारे में इतनी जानकारी प्राप्त की। गुरुदेव ने जायेगा क्योंकि गुरुदेव ने उसी दिन अपने श्रीमुख से वर्ष इन चार महिनों में सामायिक सूत्र, २५ बोल सम्यक के २००६का चातुर्मास आराधना भवन कोयम्बत्तुर में करने ६७ बोल की विस्तार से पुरी जानकारी दी। कई कथाओं व की स्वीकृति प्रदान की, हालांकि गुरुदेव ने वर्ष २००६ उदाहरणों के माध्यम से नवयुवकों को समझाया। धर्म का चातुर्मास कोयम्बत्तुर का आगार रखते हुए मेट्टपालयम श्रद्धा मजबुत हुई। खोल दिया था लेकिन आराधना भवन परिवार की प्रबल इच्छा को देखते हुए व महाराजश्री की शारीरिक स्थिति पर्युषण पर्व में श्रावक-श्राविकाओं में सैकड़ो पौषध हए। पर्युषण में चार चाँद लगाने दिल्ली से डॉ.सुश्री को देखते हुए मेट्टपालयम संघ ने बड़ी उदारता कर कंचनबेन, इन्दौर से, श्री कस्तुरचंदजी ललवाणी पधारे गुरुदेव का चातुर्मास कोयम्बत्तुर करने की सहर्ष स्वीकृति में सहयोग दिया। व धर्म ध्यान की गंगा बहाई। डॉ. कंचन बहिन द्वारा अंतगढ़ सूत्र का वांचन बहुत ही सुन्दर ढंग से किया गया। जिससे गुरुदेव के चातुर्मास खुलने के समाचार सुनकर लोगों को सुनने की बहुत चाह बढ़ी और आठों दिन उपस्थिति मणिबेन कीर्तिलाल महेता परिवार में तथा कोयम्बत्तुर के बहुत अच्छी रही। श्रावक श्राविकाओं में खुशी की लहर छा गई। यह ऐतिहासिक प्रति रविवार को बाल संस्कार शिविर का आयोजन किया चातुर्मास आराधना भवन बनने के बाद पहला चातुर्मास गया ।जिसमें गुरुदेव ने अपनी मधुर वाणी से भजन, है जिस भावना व सुन्दर तरीके से भवन बनाया, हमको बालकथा एवं छोटे-छोटे त्याग पच्चक्खाण का महत्व बताया। प्रबल पुण्यायी से ऐसे त्यागी क्रान्तिकारी गुरुदेव का चातुर्मास इससे प्रभावित होकर बच्चों ने व्रत प्रत्याख्यान लिए व धर्म मिला। भवन चाहे कितनाही सुन्दर क्युं न हो लेकिन धार्मिक आराधना के बिना फीका है। हम कितने भी धर्म सीखने का उत्साह रहा। विशेष सौरभ गुलेच्छा (१० वर्ष) ने बियासने का मास खमण किया, हर्ष गुलेच्छा (३ वर्ष) ने की जानकारी लेना चाहे, लेकिन धर्म का मर्म सीखने वाला न हो तो व्यर्थ है। सामायिक का पाठ सिखा। गुरुदेव की प्रेरणा से बच्चों ने (६० बच्चों) ने दीपावली पर पटाखे नहीं छोड़ने का व्रत गुरुदेव का चातुर्मास प्रवेश सादगी पूर्ण बिना लिया और भगवान् के निर्वाण दिवस को याद कर विशेष आडम्बर से दीः २८.०६.०६ को दोपहर करीब १२-३० धर्म ध्यान किया। बजे हुआ। यहाँ गुरुदेव के प्रवेश से ही धर्म की आराधना विशेष कौशिक भाई मेहता ने सपरिवार बैल्जियम की झड़ी लग गई। विशेष नवयुवकों ने एकासना, बियासना से पधारकर पर्वाधिराज पर्युषणपर्व यहाँ आराधना भवन में की अट्ठाई, मास खमण लगातार चार मास तक की शुरु मनाया। सामायिक, प्रतिक्रमण की आराधना की व सामायिक हुई। श्रीमान ईश्वरचंदजी लुणिया और उनकी धर्मपत्नी करने का व्रत लिया। गीताबाईने चौथे व्रत को अंगीकार किया। श्रीमान
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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