SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 331
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महिलाओं व युवतियों में विशेष जागृति रही और प्रतिदिन व्याख्यान के पश्चात एवं दोपहर में क्लास के माध्यम से धर्मध्यान किया, व्रत प्रत्याख्यान लिए। रात्रि में ७-३० से ८-१५ बजे तक भाईयों ने ज्ञान चर्चा के माध्यम से, नई जानकारी प्राप्त की । चेन्नई से सुश्रावक श्री पन्नालालजी बाफणा, श्रीमती प्रिया राखेचा एवं सूत्र विनय स्वाध्याय मंडल, दिल्ली की संयोजिका दीपा बहिन ने शिविर चलाए जो एक चातुर्मास के मुकुट में कोहिनूर का हीरा रूप साबित हुआ। यहाँ पर गुरुदेव के सान्निध्य में पर्युषण पर्व मनाने ऊटी, दिल्ली, इन्दौर से श्रावक-श्राविकाएँ पधारे, धर्म आराधना की। ` चातुर्मास काल में ऊटी, कुन्नुर, मेट्टूपालयम, तिरूपुर, सेलम, तिरूपात्तुर, चेन्नई, नंजनगुड़, चामराजनगर, गुंडलेपट, मांडिया, बैंगलोर, रायचूर, हैदराबाद, मुम्बई, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली लुधियाना, कोचीन, कालीकट आदि क्षेत्रों से निरंतर दर्शनार्थियों का पधारना हुआ। इस प्रकार मणिबेन कीर्तिलाल मेहता आराधना भवन में पूज्य गुरुदेव श्री विनयमुनिजी म.सा खींचन का ऐतिहासिक चातुर्मास का समापन समारोह दो दिन मनाया गया। (दि. ४ व ५ नवम्बर) डॉ. उषा मेहता, परेशभाई, सीमा बहिन ने समापन में बताया कि आज हमारी स्वर्गीय मातुश्री की इच्छा पूर्ण हुई है। गुरुदेव के प्रति श्रद्धा के फूल रूप में उन्होंने विनय आराधना व विनय बोधि कण जैसी अद्भुत ग्रंथो का प्रकाशन करवाया व वितरण किया। शिविरार्थियों को २५ बोल की सचित्र पुस्तक एवं धार्मिक उपकरणों से सम्मानित किया। बालकों का उत्साह बढ़ाने हेतु उनको भी सम्मानित किया गया। चातुर्मास समापन पर अनेक लोगों ने त्याग प्रत्याख्यान व्रत आदि ग्रहण किये। यह एक अद्भुत ऐतिहासिक चातुर्मास रहा जो सबको याद रहेगा। स्व. मणिबेन कीर्तिलाल मेहता परिवार की भावनाओं को डॉ. उषा मेहता ने भरी सभा में कहा कि इस प्रकार भविष्य में भी आप सकल समाज इस आराधना भवन में तप त्याग व सामायिक पौषध की आराधना करते रहें, इसी मंगल मनीषा सहित सभी का आभार मानते हुए कृतज्ञता ज्ञापित की। इन्दरचंद कोठारी ५-११-२००६ कोयम्बतूर अनुमोदना के दो शब्द जैन आगम आधारित प्रश्न-उत्तर, प्रवचानांश युवा शिविर में उत्कर्ष संस्कार तथा पनरह चातुर्मासों में श्रुतज्ञान गंगा का प्रवाह, भक्तिगीत, उपदेशी गीतिकाएँ, सारगर्भित चिन्तन मनन को परोसा गया है। विनय भावना, विनय आराधना, विनय प्रभावना तथा विनय बोधि कण के दश भागों में श्रुत आराधना की कुल लगभग एकलाख इक्कतीस हजार से अधिक प्रतिएँ छपजाना, तथा बिना शुल्क लिए वितरण, जिनशासन की महाप्रभावना रुप कार्य की अनुमोदना से हम मुदित हुए हैं। सौजन्य दाताओं के सहयोग का 'विनय बोधि कण' परिवार हार्दिक अभिनंदन करता है। 307 नोट : हजारों पत्र एवं दुरभाषादि से 'विनय बोधि कण' प्राप्ति की कृतज्ञता सम्मति रुप पत्रादि प्राप्त हुए, उन में से लगभग ५०० पत्रों के भावों को यहां प्रस्तुत किया गया है। दक्षिण भारत जैन मुनि वैय्यावच्च समिति, संयोजक - गण इन्द्रचंद कोठारी कोयम्बत्तुर गौतमचंद कटारिया ऊटी अमृतराज चन्द्रकान्त मेहता इरोड़ वसंत पंचमी सन् २०१३ जैन मन्दिर ऊटी
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy