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________________ विनय बोधि कण में पठनीय सामग्री समाई हई है। आपने साहित्य भिजवाकर बहुत ही प्रभावना की है। पी सी जैन, नई दिल्ली - ४९ आशीर्वचन रुप साहित्य सदैव संघ को भिजवाते रहें। स्था. संघ नलखेड़ा (म.प्र) दोनों पुस्तक पढ़कर हृदय भाव विभोर हो गया। विमल कक्कड़, सरवाड़ (राज.) किताबें सभी सराहनीय पठनीय है। हम सामायिक में उपयोग करते है। सवाईलाल कोचर, Neyveli (T.N) Received your book, please send red colour Vinay Bodhi Kan (Bhavana) book if available. Thanking you. M. Mangilal Baid, Tirupattur (T.N) बोलिया संघ को ज्ञान वर्धक अति उत्तम पुस्तक प्राप्त हुई। आगे भी ऐसी अन्य ज्ञानवर्धक पुस्तकें भिजवाते रहियेगा। जैन स्थानक संघ, बोलिया (म.प्र) विनय विवेक से बढ़े आत्मा, आत्मा का कल्याण करुं। रहे प्रयास इस मानख भव में विनय विवेक से कल्याण करूं। हर पंक्ति से जीवन में सौरभ व आत्म कल्याण में पथ दर्शक बनेगी, प्रेरणा की स्त्रोत बनेगी,इसी मंगलमय भावना के साथ बारम्बार श्रद्धा पूर्वक वंदना। विवेक लूकड़, गदग (कर्ना.) आपका धर्माचार नवयुवकों में जागरुकता लाता है। पुस्तकें सभी स्वाध्याय के लिए अति उत्तम है। पारसमल धोका, मैसूर (कर्ना.) “विनय बोधि कण" ग्रन्थ सुन्दर यथानाम तथा गुण युक्त है। सुनिलकुमार बोहरा, बोलारम (सिकन्द्राबाद) “विनय बोधि कण" पढ़कर-देखकर मन प्रसन्न हुआ। पुस्तक को पुरा पुरा पढ़ने की भावना रखते है । ज्ञान का खजाना है। म.सा. को मेरे परिवार की वंदना कहियेगा। आदरणीय विनयमुनिश्री महाराज सा. दि.७७०७ ईन्दौर सादर चरण स्पर्श “विनय बोधि कण" की पांलिपी मिली। उसे पढ़ते पढ़ते लगा जैसे प्रत्यक्ष में महाराजसा के प्रवचन सुन रहा हूँ। प्रिय अनिता का संकलन सुंदर और सार्थक प्रयास है। न केवल वह विनय वाणी सार है - विस्तृत साधारण गृहस्थ मे लिये वह जिनवाणी है। सरल बोध रहित भाषा में अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह, दया, करूणा, कर्मबंधन, त्याग, क्षमा जैसे गूढ़ गुणत्ता को ऐसा समझाया है कि वह सीधे हृदय व मस्तिष्क तक पहुँच कर उसे जीत लेता है। विशेषता यह है कि मूलभूत जैन सिद्धांतों को व्यावहारिक रोजमर्रा के जीवन में दृष्टिकोण से श्रावक ग्राह्य भाषा व भावना से समझाया गया है। छोटे छोटे वाक्य, सरस भाषा में अभिव्यक्त और दैनंदिन जीवन में उदाहरण लेकर धर्म के प्रति आस्था जगाना - इस संकलन की उपलब्धि है। साधारण गृहस्थ के लिए यह एक विस्तृत आचार संहिता परिभाषित करती, जिसको अपनाकर वह आत्म साधना में लीन होकर आत्मकल्याण की ओर बढ़ सहता है। महाराज सा. आपने दक्षिण भारत में विस्तृतः धर्मक्रांति ला दी है और धर्म की प्रभावना और साधना का अनुपम वातावरण बना दिया है। इसी प्रकार आपकी वाणी से जिनवाणी सर्वत्र फैले और मानव का कल्याण करे, यही विनम्र भावना और शुभ कामना है। रानी और मेरी ओर से अत्यन्त आदरपूर्वक अभिवादन स्वीकार करें। अभी हाल ही मैनें एक नई पुस्तक लिखी है।, हिन्दी में “जैन धर्म - एक विराट संस्कृति"। मैनें जैन धर्म को पूरे संसार की संस्कृतियों के व्यापक परिपेक्ष में देखा है, और यह बताना चाहा है कि जैन धर्म के सिद्धान्त इतने उदात्त और व्यावहारिक है कि वह जन-धर्म और युग धर्म बन सकता है। और सब कुशल मंगल है। शांत चित्त तनाव रहित और आस्था की शक्ति एकत्रित कर धर्माचरण में हम दोनों लगे हुए है। शक्ति व वत्ति अनुसार दया और करुणा, त्याग-तपस्या, संयम और स्वेच्छिक नियन्त्रण के प्रयत्न से मन में बड़ा ताजापन रहता है और प्रेरणा प्रवाह चलता रहता है, बहता रहता है। बेंगलोर में आपश्रीके दर्शन हुए थे, लम्बा काल हो गया पुनः इन्दौर पधारिएगा। सादर नरेन्द्र जैन Dr.N.P.Jain, IFS (Retd) Former Secretary Ministry of External Affairs Government of India E-50, Saket, & Ambassador of India to UN, Indore-452001 European Union (EU) Phone : 0731-2561273 Mexico, Belgium and Nepal 0731-2563119 E-50, Saket, INDORE - 452001 E-mail: narendrapl@yahoo.co.in U. SUDIR LODHA Member, State Minorities Commission Tamilnadu Office : No. 735, Annasalai, LLA Building, 3rd Floor, Chennai - 600 002. Res. : New NO. 9. (Old No. 22). Tilak Street, T.Nagar, Chennai - 600 017. Mobile: 9841044955 e-mail: sudhir@fashionaccess.net
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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