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श्रीमान इन्दरचंदजी कोठारी,
अनुक्रमणिका भी नहीं है। आगम, सामायिक, पच्चीस बोल, . सादर जय जिनेन्द्र!
साधु जीवन, श्रावक जीवन, ज्ञान, दर्शन, चारित्र, विनय, . यह मेरा अहोभाग्य है कि 'विनय बोधि कण' ग्रन्थ मुझे । मुक्ति-संग्रह आदि सभी विषयों के सुंदर प्रश्नोत्तर बहुत ही मुनिराज पंडितरत्न श्री विनय मुनि ‘खींचन' के कर-कमलों ज्ञानपूर्ण है। इसके प्रकाशन के लिए मेरी बधाई स्वीकार से प्राप्त हुआ। क्षमा चाहता हूँ कि इसके अध्ययन के उपरान्त करें। गुरुदेव से चेन्नई में एक चातुर्मास करने का निवेदन मैं शीघ्र आपको पत्र नहीं लिख सका।
अवश्य करें। शिविराचार्य तत्वक्ता, प्रतिभा सम्पन्न मुनिराज पंडित
आपका अपना श्री विनय मुनि ‘खींचन' द्वारा दिये गये प्रवचनों का यह दुलीचन्द जैन, अध्यक्ष, करुणा अन्तर्राष्ट्रीय, चेन्नई (T.N.) संकलन बहुत ही सराहनीय कार्य है। धन्य है मेहता परिवार जिन्होंने इस संकलन को इतने सुन्दर रूप में प्रकाशित कर
विनय बोधि कण "एक समीक्षा" श्रावक-श्राविकाओं को धार्मिक ज्ञान वृद्धि का सुअवसर प्रदान
“गहरे पानी पैठने से मोती मिला है", इस कहावत को किया है।
गुरुदेव श्री विनय मुनिजी म.सा खींचन ने अपनी पुस्तक इस ग्रन्थ की आगम सम्मत विविध सामग्री में असीमित
'विनय बोधि कण' द्वारा चरितार्थ कर दिखाया है। सूत्रों,
शास्त्रों एवं आगमों में गहरे गोते लगाकर गुरुदेव श्री ने हम ज्ञान भरा हुआ है - ज्ञान का भण्डार है।
लोगों को सहज ही में एक अनमोल खजाना प्राप्त कराया इस ग्रन्थ का प्रकाशन भी बहुत सुन्दर हुआ है। उच्चकोटि का पेपर, सुन्दर प्रिंटिंग, नयनाभिराम चित्र,
पुस्तक का एक-एक शब्द अमृत कण के समान है। जिस अच्छी बाइंडिंग आदि सब कुछ सराहनीय है। अधिकतर
प्रकार गन्ने को चाहे किसी भी छोर से चक्खा जाय, मीठा सामग्री प्रश्नोत्तर के रूप में होने से अर्थ एवं मर्म समझना
और स्वादिष्ट लगता है। उसी प्रकार आँख बन्द करके इस बहुत आसान हो गया है और इसलिए सभी उम्र वाले
पुस्तक के किसी भी पृष्ट को खोलकर उसका अवलोकन इसका लाभ ले सकते है।
किया जाय, उसमें ज्ञान ही ज्ञान भरा दृष्टिगोचर होता है। मैं एक बार फिर मेहता परिवार को और संकलनकर्ताओं को धन्यवाद देता हूँ।
श्रद्धापूर्वक इसके पठन, पाठन मनन करने से मन
को अत्यन्त आनंद की अनुभूति होती है। गुरुदेव श्री ने इस आपका
अमृत कुंभ को हमें देकर हम लोगों पर भारी उपकार पी.एस.सुराना, मैलापुर - चेन्नै (T.N.)
किया है। भविष्य में भी गुरुदेव श्री इसी प्रकार ज्ञान की आदरणीय बंधु श्री इन्दरचंदजी कोठारी,
गंगा को बहाते रहेंगे। सादर जय जिनेन्द्र!
इन्हीं मंगल कामनाओं के साथआपके द्वारा भेजी गई 'विनय बोधि कण' पुस्तक
पारस जे.नाहर, चेन्नै (T.N.) प्राप्त हुई जिसके लिए मैं आपका आभारी हूँ। परम श्रद्धेय
निःसन्देह यह पुस्तिका सरस आकर्षक एवं ज्ञान से भरपूर गुरुदेव श्री विनय मुनिजी म.सा कहां पर विराजित हैं?
है। लेखक ने गागर में सागर भर दिया है। उनको मेरा सादर वंदन कहें।
६०-७० वर्ष पूर्व सुनी हुई बहुत सी उक्तियों को भी, जो इस पुस्तक में नव तत्व षट् द्रव्य, आठ कर्म एवं
समय के प्रभाव से लुप्त प्रायः हो रही थी, लेखक ने कर्म प्रकृतियों के भेद, ढ़ाई द्वीप, १४ राजूलोक, कर्मों के
पुस्तिका में स्थान देकर सुरक्षित कर दिया है। फल आदि के अद्भुत चार्ट हैं, जो स्वाध्यायियों के लिए
“सूत्र-प्रश्नमाला" तो पुस्तिका का सर्वाधिक अतीव ज्ञानवर्द्धक हैं।
प्रशंसनीय भाग है। जो श्रावक शास्त्र स्वाध्याय नहीं कर चारों भागों के प्रश्नोत्तर एवं बोधवाक्यों में जैन धर्म
पाते वह पुस्तिका के इस भाग का सामायिक में भी पठन के सभी पहलुओं की सुंदर सामग्री संकलित है। एक ही
कर सकते हैं। लेखक का प्रयास सराहनीय है। कमी है कि विषयों के अनुसार सामग्री नहीं दी गई है।
तिलकचन्द, तिलक, जम्मू १८०००४ (J.K.) सभी विषय अलग अलग स्थानों पर दिये हैं। विषयों की