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"भाव सामायिक” में आनन्द नहीं आ सकता | 108. जो सामायिक की शुद्धिकरण में बाधा डालते
है, वे दोष कहलाते हैं। कुल 32 प्रकार के 101. भौतिक विज्ञान प्रकाश की गति 1,80,000
दोष माने गए है। मील प्रति सैकण्ड और मन की गति को | 109. दोषों को समझे बिना दोषों का परिहार एक सैकण्ड में 22,65,120 मील प्रति नहीं हो सकता है। सैकण्ड मानता है। चंचलता घटाना,
हव अज्ञानता आदि अनेक कारणों सामायिक का एक मुख्य उद्देश्य है।
से दोषों का जानते - अनजानते हुए सेवन 102. सावध योग अंधकार के समान है, सूर्य करता है। उदय होने पर अंधकार अपने आप चला
111. मन के दस, वचन के दस व काया के 12 जाता है वैसे ही क्षमादि गुणों के आते ही
कुल मिलाकर 32 दोष होते है, व्रत को कषाय रुपी अंधकार चले जाते है।
मलिन करें, वे दोष कहलाते हैं। 103. तीनो योगों की शुद्धि बढ़ने पर सामायिक
112. 1. अविवेक, 2. यश कीर्ति, 3. लाभ, 4. में तीन समाधि प्राप्त होती है, मन समाधि,
गर्व, 5. भय, 6. निदान, 7. संशय, 8. वचन समाधि, काया समाधि।
रोष, 9. अविनय व 10. बहुमान ये प्रमुख 104. कायशुद्धि का अभिप्राय यह नहीं है कि शरीर दस दोष मन के हैं। साफ सुथरा व सजा-सजा कर रखना चाहिये।
113. 1. कुवचन, 2. सहसाकार, 3. स्वच्छंद, काया से किसी भी जीव को पीड़ा न पहुँचाए,
4. संक्षेप, 5. कलह, 6. विकथा, 7. हास्य, काया से संयम यानि “काय" संयम होता है।
8. अशुद्ध, 9. निरपेक्ष (बिना उपयोग) और 105. सामायिक में “सावध योग" का सेवन नहीं 10. मुण मुण (स्पष्ट उच्चारण नहीं) ये
किया जाता है; परन्तु पूर्व सेवन किए सावद्य दस दोष, वचन शुद्धि - समाधि को तोड़ते योगों का प्रतिक्रमण - प्रायश्चित किए बिना है। सामायिक में ऊँचा रसायन नहीं आ सकता
114. कुआसन, 2. चलासन, 3. चलदृष्टि, 4.
सावद्य क्रिया, 6. आकुंचन प्रसारण 7. 106. आवश्यक सूत्र में (प्रतिक्रमण में) छह आलस्य, 8. मोड़ना (कटका) 9. मल
आवश्यकों में प्रथम सामायिक है। विषमता (मैल उतारना) 10. विमासन (शोकासन व (वांकाई), टेढ़ापन व वक्रता छोड़ना ही बिनापूंजे) 11. निद्रा व 12. वैय्या वच्च सामायिक है।
(अव्रती की सेवा करे व करावे) ये 12 दोष 107. सामायिक अवश्य करनी ही चाहिये,
से काय शुद्धि को कमजोर करते हैं। सामायिक प्रथम आवश्यक है, संसार के | 115. उपरोक्त 32 दोषों का विसर्जन/क्षयकरने काम बाद में, पहले सामायिक करनी ही है। से सामायिक में समता बढ़ती है और मन सावद्य योगों को त्यागे बिना सिख' असंभव
वचन व काय संयम होता है।