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F) असन्नी पंचेन्द्रिय का .... 11.
53. पुद्गलों से बना शरीर, मकान, रुप सब G) सन्नी पंचेन्द्रिय का.... 13. 14. कुछ नष्ट (पर्याय बदलाव) हो जायेगा, परन्तु 42. जीव की अपनी नासमझी (मोह व अज्ञानता)
जीव के जीवत्व (आत्मा) को दुनियाँ की
कोई ताकत नष्ट नहीं कर सकती। ही जीव को 84 लाख जीवयोनि में भ्रमण करवा रही है।
54. भूतकाल में जीव था, वर्तमान में है और
भविष्य में भी जीव (चैतन्य) ही रहेगा। 43. हे मानव! जन्म से लगाकर जिनवाणी श्रवण तक की सारी भूमिकाएं तूं बना चुका है।
55. कर्मों के अनुसार शुभाशुभ गति जाति में अब खोटी पकड़ छोड़! क्योंकि ये सब जो
जन्म होगा। परन्तु जीव का विनाश कभी दिख रहा है, वह अनित्य है।
नहीं होगा, ऐसा विश्वास करें। 44. शरीर रुप युवानी, धन, सम्पति सब | 56. वर्तमान में मेरे जीव को पुण्योदय से शरीर, अनित्य है, यह साथ नहीं देने वाली है।
इन्द्रियें मन, वचन आदि परिपूर्ण मिले है,
अतः मुझे इनको पापों में नहीं डूबोना है। 45. तू भारी कर्मा मत बन! सत्संग ही तीर्थों का महातीर्थ है, तू रोज जिनवाणी सुन!
57. पाप से हटना, संवर निर्जरा का सेवन
करना ही इस जिन्दगी का ध्येय होना 46. मिथ्यात्व कैसे दूर होवे इसका उपाय सोच!
चाहिए। असन्नी जीव चिंतन मनन रहित होता है।
58. जड़ता लक्षण अजीव में होता है। 47. नरक तिर्यंच में जाने के चार-चार कारण है, उन्हे छोड़े बिना जीव हलुकर्मी नहीं बन
59. सुख-दुःख, पुण्य-पाप नहीं होते है। (ऐसे सकता।
मिथ्यात्वी के विचार होते है) 48. उपयोग में मोह-मिथ्यात्व आने से उपयोग
60. अजीव में जीव रहता है, उसे सचित्त कहते दुरुपयोग बनकर अज्ञानी की पर्याय में संसार के इन्द्रिय सुखों में ही सच्चा सुख मान | 61. अजीव कभी जीव नहीं बन सकता। बैठता है।
62. अजीव के पाँच प्रकार होते है - चार अरुपी 49. मिथ्यात्व से अज्ञानता का विस्तार होता है तथा एक रुपी। और अज्ञान पुनः मिथ्यात्व को बांधता है।
63. धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, 50. मिथ्यात्व ही संसार (कर्म) की जड़ है। आकाशास्तिकाय के 3-3 भेद कुल 9 भेद 51. कर्म जन्य सुख-दुःख अस्थाई है। मिथ्यात्व
हए तथा दसवां काल होता है ये 10 भेद की इतनी सी समझ से ही जीव मोक्ष मार्ग
अरुपी अजीव, में होते है। वर्ण, गंध, रस पर चल सकता है।
व स्पर्श रहित होते है वे अरुपी कहलाते है। 52. सन्नी-पंचेन्द्रिय का पर्याप्त और यदि साथ
| 64. रुपी पुदगल के चार भेद यथा स्कन्ध, में मनुष्य जन्म मिल जाय तो जो चाहे बन
। स्कन्ध देश, स्कन्ध प्रदेश व परमाणु। सकता है।
| 65. अनंता अनंत प्रदेशी स्कन्ध जो पुदगल होते