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________________ 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. एक कदम अपनी ओर 6 विषय : वर्ष 2010 के टिप्स मानव जन्म को “सन्धि" समझो। प्रणाम बिना कोई घर नहीं रहे। प्रतिदिन नवकार मंत्र का स्मरण हो । सेवा को प्रथम धर्म मानो। सूर्योदय के पश्चात सोना अच्छा नहीं है। परस्पर अभिवादन में प्रसन्नता की झलक हो। गृहस्थी में मात्र स्वयं के बारे में ही चिन्तन करना उचित नहीं है। छोटे बड़ों के बीच मर्यादा का होना अति आवश्यक है। घर को मनोरंजन स्थान मत मानो । (मत बनावो) अपने घर को तीर्थंकर महावीर स्वामी के श्रावक का घर समझो। 11. जिस घर से प्रणाम गया, समझो सब कुछ गया। 12. देवाधिदेव, गुरुदेव व अहिंसा धर्म पर गहरी श्रद्धा रखना चाहिए। 13. रात्रि भोजन से बचो। रात्रि का भोजन श्रावकाचार में दोष है। 14. देर रात्रि तक का जागरण अहितकारी है । (ठाणांग सूत्र ) 217 15. टी. वी. ने जीवन को जहर बना दिया है। 16. पारिवारिक रिश्तो को कषाय भावों से तोड़ने का प्रयास मत करो। एक बार जिसे अपना बना चुके हो तो उससे रिश्ता तोड़ो मत। 17. 18. तिथियों के महत्व को समझना चाहिए। (चन्द्र संवत्सर) 19. कम से कम पक्खी के अवसर पर तो प्रतिक्रमण अति आवश्यक है। पाक्षिक आलोचना से जागृति बनी रहती है। 20. प्रतिदिन जिनवाणी (प्रवचन) सुनने का प्रयास करो। 21. प्रभु ने अनुकम्पा दान की मनाई नहीं की है। श्रावक को आरंभ परिग्रह घटाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। प्रथम मनोरथ साधु का है, ज्ञान बढ़ाना। 22. 24. स्मरण रहे कि मनुष्य भव में ही चारित्र की प्राप्ति हो सकती है। ज्यादा से ज्यादा समय व्रत में ही रहें। 23. ज्ञान ध्यान बढ़े और आरंभ परिग्रह की रुचि घटे यही श्रावक जीवन की सार्थकता है। 25. 26. घर में जोर-जोर से 'चिल्लाना' उचित नहीं है। यह श्रावक का घर है, सिनेमाघर नहीं, इस बातका स्मरण रहे। प्रातः 7 बजे से रात्रि के 11 बजे तक रसोई एवम् टी.वी चलता रहे तो यह जानना
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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