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करता है। शान्ति तथा आराधनाओं को | आडम्बर प्रधान है, जबकि स्थानकवासी देने वाला पर्व है।
परम्परा संवर तथा निर्जरा प्रधान होने से 24. भौतिक मनोरंजन, योग, पर्यटन, व्यापार,
अंतगड़सूत्र में वर्णित त्याग प्रधान वाणिज्य ये सभी से निवृति देने वाला है,
आत्माओं का वर्णन है। स्थानकवासी पज्जुसण।
परम्परा त्याग प्रधान होने से अंतगड़सूत्र
का वांचन किया जाता है। 25. आत्मा की सर्वोच्च दशा मुक्ति या मोक्षपुरी में मानी गई है। मोक्ष का प्रथम दरवाजा
अंतगड दशासत्र में आठो कर्मो का क्षय कर क्षमा ही है।
मोक्ष में जाने वाली आत्माओं का वर्णन है
तथा आंठवा अंग सूत्र है एवम् आठ वर्ग 26. प्रत्येक साधक का ध्येय ‘मुक्ति' प्राप्त करना
है। अतः आठ दिनों में पढ़ा जाता है। ही होता है।
33. अंतगड़ सूत्र में अरिष्टनेमि प्रभु के शासनवर्ती 27. अन्तगड़ दशा सूत्र में मोक्षगामी 90 जीवों
51 साधकों तथा महावीर स्वामी के का वर्णन है तथा स्त्री पुरुष सभी वय के
शासनवर्ती 39 साधकों का वर्णन है। जीवों की साधना का अधिकार आया हुवा होने से भी मुक्ति' की भूख जगे (मोक्ष)
| 34. 90 जीवों में से गज-सुकुमाल मुनि की अतः इन्ही भावनाओ से सैंकड़ो वर्ष पूर्व उत्कृष्ट क्षमा का वर्णन है यह हमें प्रेरणा हमारे आचार्य भगवंतो ने 'अंतगड़ सूत्र'
देता है कि उत्कृष्ट क्षमा धारण नहीं कर वाचना की परम्परा शुरु की।
सके तो मध्यम तथा जघन्य क्षमा को तो
धारण करना ही चाहिए। 28. आडम्बर परिग्रह प्रधान होता है, जबकि
चारित्र धारक सभी प्रकार के परिग्रह का | 35. एवंताकुमार के कथानक से पूर्व कर्मो के त्यागी होता है। श्रावक-श्राविकाओं के दूसरे
प्रभाव तो देखा जा सकता है। हलुकर्मी का मनोरथ (मैं संयमी बनू) की सफलता हेतु
प्रत्यक्ष प्रमाण है। 'संयम' तथा तप प्रधान अंतगड़ सूत्र के | 36. अर्जुन माली की हिंसक प्रवृति, होते हुए पात्रों का रोचक त्याग वैराग्य भरा अधिकार भी भावों में श्रावक सुदर्शन की प्रीति सुनाया जाता है।
अनुकंपा देखी जा सकती है। 29. अंतगड़ सूत्र का काल मान भी आठ दिनों 37. श्रेणिक राजा की रानियों की तपस्याओं
मे पढ़ने/सुनने का विधान बताया है। का वर्णन दिखाया गया है, जो सुकुमाल 30. अंत कर दिया अष्ट कर्मो का जिन्होनें, ऐसे
तथा मानवीय भोगों में रहने वाली आठ 90 जीवों का वर्णन दिया है।
कर्मो को काटकर मोक्ष गई। 31. “कल्प सूत्र" पढ़ने की परम्परा इतिहासकार
38. गजसुकुमाल की मातृ-पितृ भक्ति देखने बताते है, इसमें महावीर स्वामी के जीवन
को मिलती है, कि माता-पिता को पूछकर चारित्र तथा 14 सपनों का वर्णन बोलियों
दीक्षा लूंगा। लोकोपचार विनय का उत्कृष्ट के माध्यम से जन्म वाचन की परम्परा |
उदाहरण मिलता है।