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W) वजन कम करने की Super दवा जैन धर्म में बताई गई है कि नियमित लगातार बेआसना एकासना कीजिए Toilet (संड़ास) पाचन पद्धति ठीक नहीं है। पेट साफ तो रोग माफ।
X)
Y) भारी शरीर वालों को अन्यों की सेवा बार-बार लेनी पड़ती है ।
Z) होटलों में भोजन की शुद्धता की बजाय 'स्वाद' पर ध्यान दिया जाता है, और लोग 'स्वाद' का ज्यादा मात्रा में उपयोग करके शरीर को नुकसान पहुँचाते है।
101. नई कार भी गैरेज में खड़ी खड़ी खराब हो जाती है, वैसे ही शरीर को भी जितना ज्यादा आराम दोगे, तो ये शरीर उतना भीतर से कमजोर होता जायेगा।
102. आखिर में तो शरीर धोखा देगा ही, क्या पता कब साँस टूट जायेगी? अतएव हमें धर्म आराधना में शरीर का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग कर ही लेना चाहिए। जैन धर्म आत्म कल्याण प्रधान होते हुए भी साधना का साधन तो शरीर ही है, समझे।
103. हॉस्पीटल से बचने के उपाय (धर्म दृष्टि से) कुछ बताए जा रहे है यथा
A) रात्रि जागरण बन्द करो।
B) रात्रि भोजन बन्द करो।
c) रात्रि में यात्राएं बन्द करो (घटाइए) D) नियमित दिनचर्या के बिना रोगों से बचना अशक्य है।
E) एकासना या बेआसना जीवन तो बदल देगा | All in One
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F) अंग्रेजी गोलियाँ दुष्प्रभाव ( रिएक्सन) भी करती है।
G) एलोपेथी की दवा निर्माण में हिंसा भी होता है।
Hotel में जाना बंद कीजिए ।
Hotel और Hospital ये दोनों ही असाधारण स्थान है।
H)
1)
J)
सकाय की हिंसा से श्रावक को बचना चाहिए
K) बड़े बड़े समारम्भों के (आडम्बरो) अधिक संख्या के आइटम भी रोगों के आने के कारण बनते है।
L) वाहनो की तेजी भी हिंसा व एक्सीडेन्टो के कारण बनती है।
M) द्वेष परिणिती में मानसिक रोगों का फैलाव जल्दी होता है।
N) मानसिक रूप से मन को संतुष्ट (संतोषी) रखिये।
O) ज्यादा भागम-भाग भरी जिन्दगी भी अशान्ति का कारण है
P) देर से सोने की आदत को बदलने
के लिये सर्व प्रथम बेआसना की दवा (या रात्रि भोजन त्याग) लीजिए। आप समय पर उठेंगे ही।
Q) डॉक्टरों से बचने का अचूक नुस्खा आसना कीजिए।
R) टी.वी देखना छोडिए (कम से कम अमर्यादा तो छोड़े)।
s) प्रसन्नचित्त व्यवहार भी रोगों से बचने का एक उपाय है।