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अस्वस्थता से भरा क्यों जी रहे है। प्रमाद आलस्य दूर कीजिए। भजन - प्रार्थना, स्वाध्याय रोजाना कीजिये। भोग की अमर्यादा छोडिये। अशुद्ध - असमय भोजन करना
छोड़िए। 95. भय में रोगों का आक्रमण बहुत जल्दी होता
96. सोमिल ब्राह्मण का श्री कृष्ण महाराज को
देखते ही भय से हार्ट-फैल हो गया था। 97. पश्चिम देशों में मद्य मांस की प्रवृति अधिक ... होने से क्रुरता जल्दी प्रकट होती है, इसके
विपरीत भारतीय संस्कृति 'दया सेवा' से
भरी है। 98. प्रामाणिकता कमजोर होगी तो वह कर्तव्य
निष्ठ नहीं बन सकेगा, भयग्रस्त ही रहेगा। . 99. अधिक जागरण व देर रात सोने की प्रवृति
ने हमारे जीवन में कहाँ कहाँ चोट की,यथाः A)जागरण से पाचन क्रिया ठीक नहीं रहती B) घर के सदस्य भी परेशान रहते है C) एक का जागरण, अन्यों को भी जागरण करना पड़ता है, आज ज्यादातर घर मिनी थियेटर बन गये है, एक घर में चार-चार, पाँच-पाँच टी.वी चल रहे है। D)प्रातः काल ब्रह्म मूहूर्त का आस्वाद लेना भूल गये है E) भोजन घर में आधी रात तक भोजन बनाना ठीक है क्या? F) रात्रि में विकलेन्द्रिय जीवों की उत्पति बहुत होती है G) त्रस काय के कलेवर शरीर में भोजन के साथ चले जाते है। H) प्रातः काल सामायिक, प्रवचन, प्रार्थना रुक गये है। I) बड़ों की सेवा, सुश्रुषा, विनय, वंदन छूट गये है। ) बाल बच्चों को प्रातः पिता के वरद-हस्त |
से वंचित रहना पड़ रहा है। K) स्त्री वर्ग का स्वास्थ्य गड़बड़ा गया है। L) जोड़ी का भोजन-भजन का ताल मेल टूटता जा रहा है। M) देर रात जागने से निद्रा चक्र अव्यवस्थित हो जाता है। N) स्वयमेव निद्रा से उठना बंद होता जा रहा है, एक व्यक्ति निद्रा से जगाने वाला चाहिए, मानो हम राजा-महाराजा के सुपुत्र हो। 0) दुःख से सोये, दुःख से जागे ऐसी निद्रा दुःख कारी होती है। P) प्रातः प्रथम प्रहर धर्मध्यान सेवा व श्रम से हटकर निद्रा में जा रहा है। Q) सूर्योदय की बजाय सूर्यास्त ज्यादा देखते हैं R) प्रातः काल जल्दी अतिथि, भाई बंधु, साधार्मिक भक्ति के लाभ से वंचित होते जा रहे है। S) संतसती को प्रातः काल प्रासुक पानी कठिनाई से मिल रहा है। T) देर से उठना, उनकी मानसिक चंचलता गड़बड़ा जाती है, जिससे उतावले पन के कारण कुछ न कुछ गलत हो ही जाता है। U)देर से उठना वृति से पशु-पक्षियों को भी अंतराय पड़ रही है V) 'अति जागरण' से नींद की गोलियों का व्यापार बहुत बहुत बढ़ गया है। w) सभी धर्मों में प्रातः काल प्रभुप्रार्थना का समय माना गया है। x) निद्रा चक्र (देर रात जागरण से बिगड़ने से रिश्तेदारों के यहां रुकने की बजाय होटल में रुकना ज्यादा पसंद करने लगे है। होटलों में क्या क्या होता है? आपसे छिपा नहीं है। Y) अति जागरण से रिश्तों की अवज्ञा हो रही है। आत्मा का अहित हो रहा है, देव
गुरु धर्म की आसातनाएं बढ़ रही है। 100. अधिक बैठना, अर्थात पैदल चलने की
क्रिया छुट कर दिनों दिन बैठने की आदत