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बाहर घूमना (Y) अनिद्रा रोग में वृद्धि, | 45. वर्तमान एलोपेथी पद्धति से भी नेगेटिव निद्रा का घटना (2) सुख भोग में रुचि व | विचारों में तथा रोगों में तेजी से वृद्धि होती सेवा में कमी।
है। 35. कृत्रिम सर्दी व गर्मी (A/C आदि) से भी | 46. “जीवन शैली” के कारण आज Fast Food बीमारियों में वृद्धि हुई है।
एवं Junk Food का चलन तेजी से बढ़ रहा
है जिसमें कि जहरीले रसायन पदार्थ मिले 36. शरीर का वजन बढ़ने से समस्याएं बढ़ी
होते है।
47. फर्टीलाईजर खाद से अन्नपानी दूषित हो 37. समय-असमय, भोजन-निद्रा-जागरण हो
गया है। रहा है।
48. फल सब्जियों की ऋतु व काल मर्यादा टूटने 38. द्वेष के भावों से रोगों में बेतहाशा वृद्धि हुई
से भी रोगों में वृद्धि हुई है। है।
49. प्रदूषित हवा ने ऑक्सीजन प्राण वायु को 39. फिजीकल फिटनेस आज का मानव चाहता
जहरीला बना दिया है। तो है, परन्तु स्वाद-पर्यटन दोस्ती से हार जाता है।
50. वाहनों के एक्सीडेंटों के कारण हॉस्पीटलों
के व्यापार में वृद्धि हुई है। 40. भावात्मक भावों में ईर्ष्या-द्वेष-गाढ़ा राग तथा क्षणिक क्रोध का आवेश शरीर की
51. मति व गति दोनों तेजी से बढ़ने से युवा भीतरी प्रक्रिया को रोग ग्रस्त कर देता है।
वर्ग जोश में होश खो बैठा है। 41. प्रतिक्रमण व वंदन में फिजिकल व
52. जिस प्रकार शरीर पर मर्यादा से अधिक
भार पड़ने पर शरीर टूटने लगता है, उसी इमोशनल सोच में बहुत-बहुत फायदे होते
प्रकार राग व द्वेष के उग्र दबाव से मन के
ऊपर विचारों का भार पड़ने से व्यक्ति 42. तिरस्कार से (भावनात्मक रुप से) बीमारी मानसिक रोगों से ग्रस्त बनता जा रहा है। बढ़ती है।
भगवान महावीर ने शरीर को उपमा दी है 43. हिंसा झूठ व संत सज्जन का तिरस्कार "विजय चोर" की, इसे मर्यादित भोजन
उनसे अप्रीति एवं उन्हें अमनोज्ञ आहारादि ही दिया जा सकता है। देने से अशुभ तथा अल्प आयुष्य का बन्ध
शरीर पर अति लाड़-दुलार शरीर में रोगों होता है।
को आमंत्रण देने समान है। 44. भावानात्मक रुप से सहनशक्ति कमजोर |
55. भागम-भाग की इस जिंदगी में मानसिक होने से आज युवा पीढ़ी आत्म हत्या तक
रोगियों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही कर बैठती है।