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________________ में अ 19. शरीर का पानी करके रात दिन एक करके, | 30. होटल व हॉस्पीटल दोनों का आपस में खून पसीना बहाकर पैसा कमाते हैं, गाढ़ा संबंध है। युवावस्था में तथा पिछली उम्र में (रोग 31. मांसाहार और शराब ने हॉस्पीटल बढ़ाने आने पर) शरीर को स्वस्थ रखने के लिए में अच्छी मदद की है। पानी की तरह पैसा बहाते है। क्यों है ना हमारी समझदारी???? 32. बाहरी पर्यटन-भ्रमण में खान-पान के 20. भोजन, भजन व भोग ये तीनो प्रगट में प्रभाव व हवा पानी के बदलाव से भी करने योग्य नहीं होते है। हॉस्पीटल को बहुत लाभ पहुंचा है। 21. भोग के खुले प्रदर्शन से आज निर्लज्जता | 33. डॉक्टर पेशा 'सेवा' का है, उसे आज बेशर्मी दिनों-दिन बढ़ रही है। व्यवसाय बनाकर मानव जाति के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात किया जा रहा है। 22. भजन भी दिखावटी (धर्म) (फंक्शन आडम्बर रुप) होने से धर्म करने के बाद | 34. विचित्र अनियमित जीवन-शैली के कुछ भी मन में शांति नहीं मिल रही है। बिन्दु-सुख भोग मे रुचि व सेवा से दूरी 23. भोजन (इन तीनों का मुख्य) की गड़बड़ी (A) देर से उठना (B) देर से सोना (c) देर रात्रि तक खाना (D) बड़ों से भय से तीनों में परिवर्तन हो रहा है। खत्म होना (E) मर्यादाओं (वर्जनाएं) का 24. भोजन की शुद्धता, नियत समय व भोजन टूटना (F) टी.वी मनोरंजन देखते भोजन की मात्रा का आज विचित्र बदलाव हो करना (G) खाना बनाते समय भी टी.वी गया है इसी कारण Hospitals की मांग देखना (H) समय मर्यादाओं का टूटना बढ़ती जा रही है। (1) होटलो के भोजन में रुचि बढ़ना (J) 25. रात्रि भोजन व भोजों के आयोजन से अभद्र वस्त्रो का प्रदर्शन बढना (K) जठन शरीर का स्वास्थ्य नष्ट हो रहा है। की बेहिसाब बढ़ोतरी (L) नाली गट्टरों में 26. त्रसकाय के जीवों का विराधना (हिंसा) जीव-जन्तु की उत्पत्ति (M) पानी का इन भोजों में त्वरित गति से बढ़ती जा बेहिसाब अनुपयोग (N) विद्युत का बेहिसाब प्रयोग () नित नई पोशाक एवं फैशन में रही है। रुचि (P) असंख्य इच्छाओं की पूर्ति हेतु 27. रात्रि में विकलेन्द्रिय जीवों की उत्पति प्रायः पैसों की जुगाड़ में अनीति का प्रयोग (Q) रोगों की बढ़ोतरी के कारण में आता है। शारीरिक परिश्रम का अभाव (R) नौकरों 28. आज का मानव जीने के लिए नहीं खाता की फौज रखना (s) विजातिय सम्पर्क में है, प्रायः स्वाद के लिए भक्षण कर रहा है। बढ़ोतरी (T) मातृ-भाषा की उपेक्षा (U) 29. होटलों में भोजन करना या होटलों से भोजन धर्म संस्कृति में लगाव घटना (v) पर्सनल मंगवाना, ये दोनों भी रोगोत्पति के कारण लाईफ का चलना (w) छोटे से बड़ो को ego problem (x) देर रात मित्रों के साथ
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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