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है।
卐 एक कदम अपनी ओर विषय : हॉस्पीटल से बचो (पैसा कमाया-शरीर गंवाया) 1. आत्मा संसार में बिना शरीर के लम्बे काल | 13. भगवान महावीर परम “वैज्ञानिक” थे । क्या तक नहीं रहता है।
हमें भगवान के वचनों पर श्रद्धा है??? 2. जीव को शरीर का मिलना 'पुण्योदय' माना
यदि हां तो सोचें कि भगवान ऐसा मार्ग
क्यों बतायेंगे जिससे उनके श्रद्धालुओं का गया है।
स्वास्थ्य बिगड़ता हो। 3. “शरीर माध्यम” “खलु धर्म साधनम्"
| 14. उत्तराध्ययन सूत्र में पुण्यवान जीव में रोगों 4. जैन शास्त्रों में “आरोग्य एवम् दीर्घायु" ये का आना नहीं होता क्योंकि वो पूर्व भव में दो प्रथम सुख माने है।
अच्छा व्रत नियम पालन करके आया हुआ लोगस्स के पाठ में भी “आरोग्य बोधि लामा श्रेष्ठ समाधि देवे।
15. एक एक रोम में करीब पोने दो रोग छिपे है 6. हम जितना बाहर से शरीर को देखते है,
तो साढ़े तीन करोड़ रोगों में साढ़े पांच क्या कमी शरीर के भीतर क्या है? इसे
करोड़ से भी अधिक रोग, हमारे शरीर में देखने एवं समझने की कोशिश की है?
दबे हुए है पर हमारे पुण्य प्रभाव से छुपे हैं। भौतिक शरीर के बारे में भौतिक विज्ञान | 16. भगवान महावीर ने नौ स्थानो (कारणों) खोज पर खोज करता जा रहा है।
से रोगों की उत्पति बताई है, यथा 1.
अधिक खाना 2. अहितकारी खाना 3. मारवाड़ी में भी कहावत है - “पहला सुख
अधिक जागना 4. अधिक सोना 5. अधिक निरोगी काया" (बताया है)।
बैठना 6. अधिक चलना 7. मूत्र रोकना 9. Home to Hotel 31k Hotel to Hospital
8. मल अवरोध करना 9. इन्द्रिय विकारः
उपरोक्त नौ में से कितने बोलों की सेवना 10. रोगों के आने का प्रधान कारण
आज प्रतिदिन हो रही है। असातावेदनीय कर्म है।
17. सामान्यतः शरीर स्वयं ही विजातिय तत्वों 11. मन पर, वचन पर एवम् काया पर निगरानी
को अलग अलग रुपों से बाहर निकालता करना सीखे।
ही है। 12. वर्तमान काल में जीवन पद्धति इतनी तनाव
18. जैन धर्म में “अशुचि भावना" का चिंतनकर ग्रस्त एवम् भागम-भाग की हो गई है कि
शरीर की मुर्छा तोड़ने/घटाने की बात जिसमें रोगों को आने का मौका मिल जाता
कही है)