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48. मानवीय सम्बन्धो-रिश्तों आदि को तोड़ने में द्वेष वृति प्रधान कारण माना गया है। 49. संघ संगठन में क्रोध-द्वेष प्रवेश हो गया है तो समझना चाहिये कि अब एकता असंभव है।
50. द्वेष एक आग है, जिस घर में द्वेष की आग है वहाँ पर चूल्हा गैस की जरुरत पड़ेगी क्या ?
51. कौरवों का द्वेष ही “महाभारत” युद्ध का कारण बना।
52. जिस प्रकार जंगल में लगी आग को नहीं
बुझाई, तो सम्पूर्ण जंगल को जला सकती है, उसी प्रकार संघ, समाज व परिवार में यदि द्वेष की आग बढ़ गयी तो उसका दुःखद परिणाम क्या होगा? सोच भी नहीं सकते
53. द्वेष का विष बहुत जल्दी ही दोनों पक्षो में फैलता है।
54. द्वेष में बोली गई भाषा को भी 'सूत्रकार' असत्य भाषा कहते है।
55. द्वेष के परिणामों को नेगेटिव (नकारात्मक) होने से शरीर में अनेकानेक रोगों को जन्म देता है।
56. द्वेषी के परिणाम में हिंसा- झूठ-चौर्य कर्म रहता है।
57. द्वेष के वातावरण में कोई भी किसी के पास बैठने की इच्छा नहीं रखता है।
58.
“उत्तम - पुरुष" द्वेष भाव नहीं रखते है। आप भी हो सकते है।
59. बिगड़ा हुआ द्वेष और उग्र-विद्वेष बन जाता
है।
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60. द्वेष के परिणामों में सौत द्वारा सौत के पुत्र
पर बाटिया गर्म-गर्म सिर पर बांधने से ‘बालक’ की मृत्यु हुई (सौत - गजसुखमाल का जीव था)।
द्वेष हत्यारा है। द्वेष मारक है।
द्वेष में आकर सीता के जीव (पूर्व भव में) मुनि पर कलंक लगाया था।
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62.
63. खंदक जी के 500 शिष्यों को द्वेष वश में घाणी में पिलवाया गया था।
64. द्वेष की उग्र परिणिति में परिवारिक जन आपस में बोलना- छोड़ देते है, रिश्ते नाते तोड़ देते है।
65.
औरतों में "द्वेष" जल्दी फैलता है 'बहु'सास', 'देवरानी-जेठानी' आदि में द्वेष तेजी से पसरता है।
66. जिन-जिन परिवार में “अबोला ” चल रहा है, उन्हे सामायिक में क्या आनन्द आता होगा !!!
67. द्वेषी, जिन से द्वेष रखता है, उनका मुँह क्या देखे? उनका नाम भी सुनना पसंद नहीं करता है।
68. द्वेष भाव वाले जीव में पुण्य का बंध नहीं या मंद ही होता है। जलन का एक रुप द्वेष है।
69. द्वेषी का चेहरा फुला, उतरा या सुजा हुआ ही मिलेगा, वो कभी सुख की रोटी न खा ( सकता), न किसी को खिला ( सकता है)।
70. हमारी मन चाही नहीं होने पर भी 'द्वेष' पैदा होता है।