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________________ 卐 एक कदम अपनी ओर 卐 तृतीय सत्र : विषय : धर्म का दुश्मन द्वेष 1. द्वेष आत्मा की अप्रीति कारक परिणिती | 12. द्वेष के भावों में क्रोध व मान दोनों कषाय आत्मा पर हावी रहते है । 2. द्वेष ‘आत्मा का रहा मात्सर्य' भाव है। | 13. द्वेष के परिणामों में हमारी शांति भंग हो 3. द्वेष के दो भेद बताए है - 1) क्रोध 2) मान जाती है और ऐसे नकारात्मक भावों में 4. द्वेष के अनेक अर्थ दिए गये है - यथा 1) आत्म हत्या तक कर बैठते है। विकृति 2) दूषण 3) मलिनता से भरे 14. शब्दों की कठोरता से दोनों पक्षो में द्वेष परिणाम 4) द्वेष भरा अध्यवसाय 5) की बढ़ोतरी होती है। अप्रीतिभाव 6) स्व - पर आत्मा में बाधारुप 15. मानवीय रिश्तों के टुटने में प्रधानता द्वेष 7) दुष्टता से भरे अध्यवसाय 8) क्रोध व की ही होती है। अत एवं द्वेष भाव घटाएं। मान से मिश्रित भाव द्वेष बन जाता है 9) 16. द्वेष को तुच्छ, निन्दनीय व निम्न स्तरीय द्वेष दुःख जनक भाव है। तथा कर्म बंध का कारण माना गया है। 5. द्वेष से ही 'महाभारत' की शुरुआत होती 17. वैर की परम्परा को द्वेष ही बढ़ाती है। 6. द्वेष आत्मा का दूषण है, कारण आत्मा दूषित 18. द्वेष और दुर्गुण में दोस्ती होती है, जिस • होती है। पर हम द्वेष करते है, उसमें रहे दोषों - दुर्गुणों को ही हम हर समय देखते है 7. प्रकृति व संस्कृति दोनों को द्वेष रुपी विकृति' और प्रकट करते रहते हैं। नष्ट करती है। 19. द्वेष और हिंसा की जोड़ी है, द्वेष का परिणाम 8. द्वेष से मन मलिन (कीचड़) हो जाता है, द्रव्य और भाव हिंसा है। दुर्गन्ध व अशुभ लेश्या से भर जाता है। 20. द्वेष की शुरुआत क्रोध से होती है। 9. शुभ - अध्यवसायों की हानि होती है, दृष्टि 21. क्रोध और धीरज की आपसमें दोस्ती नहीं में क्रोध-मान भर जाता है। होती है। 10. जिस व्यक्ति पर द्वेष होता है, उस पर से सामान्यत्तः पर-निंदा करके हम हमारे भीतर प्रीति टूट जाती है। का द्वेष ही निकालते है। 11. द्वेष करने वाला तथा जिससे द्वेष रखा जाता है, इन दोनों में दुष्टता के भाव बढ़ते 23. जिस व्यक्ति पर हमारा द्वेष भाव है, उसकी है। दया-करुणा-मैत्री टूटती है। बुराईयों का अधिक से अधिक प्रचार करके
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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