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एक कदम अपनी ओर
प्रथम सत्र : विषय : णमो (नमस्कार )
धर्म (चारित्र) की शुरुआत नमस्कार से ही होती है।
मानव की सबसे बड़ी समस्या (Ego) अहंकार है।
Problems में सबसे बड़ी प्रोबलम है (Ego) अहंकार |
जिनशासन में इस (Ego) रुपी बीमारी की दवा है - णमो (नमस्कार)
नमस्कार से बाह्य रुप में भले ही अपना महत्व घट सकता है परन्तु भीतरी दृष्टि से तो हमारी आत्मा बलवान बनती है, गुणवान बनती है।
नमस्कार में ही गुणवान का अस्तित्व छिपा होता है।
नमस्कार उत्तम चारित्रवान आत्माओं को . एवं उपकारियों को किया जाता है। मानवीय दृष्टि से किसी भी जीव का तिरस्कार करना भी ego (अहंकार) में ही आता है।
नमस्कार का मौन भाषा में उपदेश - I am nothing But you are everything. मैं कुछ भी नहीं, परन्तु आप सब कुछ है।
नमस्कार रहित मानव का व्यवहार एवं सोच दोनों प्रधान रुप से नकारात्मक होते हैं। “ण”= नहीं
म = मै अर्थात मै नहीं
12. जिस प्रकार मिट्टी में बोया बीज अपने अस्तित्व को समाप्त करने पर ही लाखों करोड़ो नये फल / बीज देने वाला वृक्ष बनता है, उसी
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13. अर्हम एवं अहम् दोनों की दिशाएं विपरीत होती है अहम् से अर्हम् दूर रहता है जबकि अर्हम् में अहम् नही होता है।
14. जिस संघ एवम् परिवार के व्यक्ति में 'नमो' का गुण नहीं होता, वह व्यक्ति शायद मनुष्य गति की योग्यता से बाहर है।
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प्रकार अहम् अर्थात ego के नष्ट होने से ही आत्मा में अनन्त गुणों का प्रकटीकरण होता है।
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नमस्कार आत्मा को अंतर आत्मा बनाता है, और अन्तर आत्मा ही परमात्मा बनती है।
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नमस्कार से दूर रहने वाला व्यक्ति मूलतः विपत्तियों से ही घिरा रहता है।
नमस्कार सुखों का द्वार है।
नमस्कार मानवीय विवादों को दूर करने की 'अचूक दवा है।
नमस्कार जीवों को जोड़ने का काम करता है।
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नमस्कार से पुण्य बंध व निर्जरा होती है। 21. शून्यता से 'पूर्णता' की प्राप्ति नमस्कार से होती है।
महाभारत (संघर्ष) से बचने की सर्वश्रेष्ठ क्रिया है “नमस्कार”
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पात्रता की प्राप्ति नमस्कार से होती है। नमस्कार से ही मिलता है पुरस्कार। (ईनाम) 25. गुरु-शिष्य को नमस्कार ही जोड़े रखता है।