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________________ सन् २०१० का चातुर्मास, गणेशबाग, बैंगलोर परम प. गुरूदेव श्री १००८ तपस्वीराज श्री चंपालाल जी म.सा के शिष्य पंडितरत्न शिविराचार्य श्री विनयमुनिजी म.सा खींचन का सन् २०१० का यशस्वी चातुर्मास बैंगलोर के गणेशबाग स्थानक में सफलता की ऊंचाइयों को छूता हुआ सानंद संपन्न हुआ। यह चातुर्मास एक अदभूत एवं अविस्मरणीय चातुर्मास के रूप में सदैव लोगों के हृदय में अंकित रहेगा, कारण कि पु. मुनिश्री का इस स्थान में आगमन २२ जुलाई २०१० को हुआ एवं संघ के सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से एक मत विनती पु. मुनिश्री के चातुर्मास के लिए की गयी एवं पु. मुनि श्री महत्ती कृपा करते हुए दिनांक २३ जुलाई २०१० को चातुर्मास की स्वीकृति प्रदान की, जिससे श्री संघ में अपूर्व हर्ष की लहर व्याप्त हो गयी। श्रीमान उत्तमचंदजी बोहरा चातुर्मास समिति सन् २०१० के संयोजक बनाये गये। पु. मुनिश्री वाणी के जादूगर, सूत्रो के विशिष्ट ज्ञाता एवं एक प्रखर प्रवचनकार हैं अतः प्रातः ८-०० से ९-०० बजे तक युवाओं के लिए विशेष शिविर में करीब ४०० से अधिक संख्या उपस्थित रहती प्रवचन में श्रद्धालुओं की संख्या पर्युषण पर्व आराधना तक करीब ८००-१२०० तक एवं उससे अधिक तथा पर्युषण में तो हजारों की संख्या में श्रद्दालु उपस्थित होकर ज्ञान गंगा में स्नान का लाभ लेते। पु. मुनिश्री ने इस चातुर्मास में शिविर में एक कदम अपनी ओर शीर्षक से ज्ञान की गंगोत्री बहायी, जिसे श्रीमान चम्पालालजी मकाणा द्वारा संग्रहित कर हस्तलिखित रुप में प्रस्तुत किया । अनेक धर्म श्रद्धालुओं के सौजन्य से इन हस्तलिखित पुस्तकों की ३९००० पुस्तकें करीब प्रकाशित हुई, जिसने एक नया आयाम प्रस्तुत किया, इस रुप को लोगों द्वारा खूब सराहा गया, लोगों के हृदय में इस आयाम ने अपना अमिट स्थान बनाया। इन संग्रहों को पुस्तकाकार रुप प्रदान करने में श्री चंपालाल जी मकाणा, श्री मनोहरलालजी डुंगरवाल तथा श्रीमान शांतीलालजी लुणावत ने अत्यंत मेहनत की है। हस्तलिखित इन संग्रहो की इन ७ पुस्तकों को “विनय बोधि कण भाग १३” के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस चातुर्मास में पु. मुनिश्री के प्रवचन एवं दर्शन का लाभ लेने के लिए इरोड, ऊटी, कुन्नुर, चेन्नई व बैंगलोर के अनेक उपनगरों से श्री संघ उपस्थित हुए। पु. मुनिश्री का यह चातुर्मास अनेक अर्थों मे एक अविस्मरणीययशस्वी चातुर्मास के रूप में सदैव याद किया जायेगा। पर्युषण पर्व पर दिल्ली से पधारी डा. कंचन जैन (प्रिन्सिपल और आल ईण्डिया डिबेटर) तथा मातुश्री कान्ताबेन और इन्दौर से श्री कस्तूरचंदजी ललवानी सपरिजन सहित उपस्थित थे। अन्तगड सूत्र की वाचना, जो विशिष्ट शैली से दी गई, हजारों के कानों तक सुनी गई तथा अमिट छाप छोड़ गई हैं। नोट : बेंगलोर वासीओ ने ५-५ चातुर्मासों में डा. कंचन जैन की आगम पठनपाठन की विनम्रता सहित दी गई वाचना को सुना, सुनने से जन मानस बहुत ही प्रभावित हुआ है ।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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