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________________ - भगवती सूत्र में भगवान महावीर स्वामी ने कहा है कि अठारह पाप के सेवन करने से ही जीव कर्मो से भारी बनता है, अतएव पापों को त्यागे बिना जीव सुखी नही बन सकता है। सामायकि संवर पौषध कीजिए । आद्य संग्रह सृष्टि: श्री सुत्र विनय स्वाध्याय मंडल, दिल्ली संपर्क: ०११-२२५८४५२७ हिंसा झूठ २ चोरी | 외 설에 CAAS.:. माया यह लोभ राग १० देष 6 Ec झूठा कलंक १३| चुगली १४/पराई १५ रति निंदा १७ मिथ्या दर्शन शल्य माया । मृणा १ अठारह पाप स्थान२ नारकी में वेदना -1 कुदेव पूजा का फल माता पिता को सताना 1 मिदिरा पान का फल । चित्रांकन सम्पूर्णा आदि ऊटी माता पिता को सताने का फल शिविराचार्य प.पू.श्री विनय मुनिजी म.सा. "खीचन' का चातुर्मास सन् 2006 मणिबेन कीर्तिलाल मेहता आराधना भवन, कोयम्बतुर
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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