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( सामायिक ज्ञान - 1
5) सामायिक का क्या लाभ है ? दिन रात भर
की जाने वाली हिंसा क्रोध आदि सावध क्रियाओं का 1) सामायिक क्या है ? सामायिक धर्म की बहुत । एक मुहुर्त काल के लिए त्याग होता है, किसी भी सुन्दर साधना, क्रिया है | सामायिक मीठी खीर के जीव की हिंसा न करने से सब जीवों को अपनी समान स्वादु है, घर का बाग बनाने के समान तरफ से दया व अभयदान है, नये कर्मो का बन्ध सुन्दर व सुखदायी है, आम के वृक्ष के समान फल
नहीं होता, पहले के बांधे कर्मो की निर्जरा होती दायी है।
है, 18 पापों के त्याग व स्वाध्याय में मन लगने से 2) सामायिक कौन करते हैं ? धर्म की रूचि
सुख दुख की इच्छा अनिच्छा में समभाव लाने से
सच्ची आत्म शान्ति प्राप्त होती है, आत्मा की रखने वाले, सामायिक की रूचि रखने वाले, सामायिक के लिए प्रेरणा करने वालों के वचन मानने
सामायिक लब्धि का अनुभव होता है, सामायिक
में संचित धर्म भावों के प्रभाव से सारे दिन की वाले बाल, युवा, वृद्ध सभी करते हैं, स्त्रियां भी, पुरूष भी करते है । मुख्य रूप से जैन धर्म को
अशान्ति व हिंसा भावों आदि पापों की मंदता बनी अच्छा समझने, मानने वाले लोग प्रसन्नता हर्ष
रहती है, सामायिक में आयु का बंध हो तो एक देव
गति का ही बंध होता है, नरकादि दुर्गतियों का अनुराग श्रद्धा उत्साह के साथ सामायिक करते है।
नाश होता है, आत्मा की केवल ज्ञान प्राप्ति का 3) सामायिक कैसे की जाती है ? जीव पूंजने के
मार्ग साफ व समीप होता है, तीर्थंकर गोत्र का लिए पूंजनी, बैठने के लिए आसन, मुख पर लगाने
बंध हो सकता है, तीर्थंकर भगवान के अनमोल के लिए धागे सहित मुखवस्त्रिका, माला, धार्मिक
धर्म की आराधना का महा लाभ प्राप्त होता है, पुस्तकों सहित पुरूषों द्वारा धोती दुपट्टा (दोनों सफेद)
दूसरों को भी प्रेरणा होती है, अपने जन्म-जन्म के पहनकर व स्त्रियों द्वारा सामान्य गृहवेश में ही शील
दुखों का नाश होता है आदि । प्रकटकारी पहनाव व्यवहार युक्त नवकार नमस्कार युक्त शान्ति के साथ की जाती है।
6) सामायिक कब की जाती है ? सामायिक
आवश्यक दैनिक क्रियाएं प्रारम्भ करने से पहले ही 4) सामायिक कहाँ की जाती है ? एकान्त शान्त
प्रातः काल, दोपहर को, सायंकाल, रात्रि को की स्थान में जहां न तो गृह आदि आरम्भ कार्य होते हो न ही लोग अपने अपने कार्यों से आते जाते हो
जाती है, गृह व्यापार के कार्यों से निवृत्त होकर जब
नये कार्यों की शीघ्रता चिंता न हो, चित्त धर्म में । इन्द्रियों के आकर्षण शोभा रहित स्थान में,
आसानी से लग सके इस तरह अवकाश निकाल सामायिक की भावनाओं के अनुकूल स्थान में
कर किसी भी समय की जा सकती है, प्रातः काल अकेले अथवा सामायिक करते हुओं के साथ होकर
सबसे अच्छा रहता है। सामायिक में संसारी बातें की जाती है । बिजली, पंखा, पानी न चलते
नही की जाती। हों, घर में, धर्म स्थान में, गुरुदेवों के समीप अथवा व्यवहार को समझकर अन्य कोई एकान्त 7) सामायिक कितने काल की होती है ? दिन स्थान बाग आदि में भी की जा सकती है । पूर्ण रात की संसार की व्यस्त चर्या में से कम से कम अनुकूल स्थान प्राप्त न हो तो अधिक से अधिक | एक मुहुर्त अर्थात 48 मिनट का समय निकालकर अनुकूलता देखकर भगवान महावीर के धर्म में चारित्र इतने काल के लिए एक स्थान पर बैठकर स्थिरता की निस्वार्थ भावों व क्रियाओं की उच्चता रखते हुए
के साथ सामायिक अवश्य करनी चाहिए, ज्ञानियों सामायिक करनी चाहिए।
ने सामायिक का एक मुहुर्त काल निश्चित किया है,
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