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________________ “विनय बोधि कण” कण नही “विनय बोधि मण" है। एक सामायिक ली और “विनय बोधि कण" पढ़ने लगा, पर ३ सामायिक आ गई, समय का पता ही नहीं लगा । “विनय बोधि कण" है स्वाध्यायियों के लिए यह कण नही, “विनय बोधि मण" है। विषय इतना सरल और सरस है : साधक को, स्वाध्याय में दूसरी किताब देखने की जरुरत ही नहीं, यह एक गागर में सागर है, most practicle book. इसको डिक्सनरी कहे या Directory 'दिशा निर्देशक' यह सब महाराज की कड़ी मेहनत, निष्ठा और लगन का फल है। मुनिश्री ने गुरुदेव पू. १००८ तपस्वीराज गुरुदेव, सेवाभावी जी गुरुदेव तथा श्रुतधर गुरुदेव के सानिध्य में आगम - पाठों का तल स्पर्शी अध्ययन किया है । पू. महात्मा श्री जयन्ती लालजी म.सा. की सेवा में पांच चौमासे भी किये, तभी तो आगम के विषय सरलता से, सहजता तथा सरसता से प्रस्तुत कर सकते है । जो हमारे लिए माननीय है। यह विनय बोधि जीवंत बनने की तथा जयवंत बनने की कला सिखाती है । यह हमारे लिए अनुकरणीय बनेगी व जीवन की पथ प्रदर्शन बनेगी। आत्म ज्योति जगाने की यात्रा है - विनय बोधि कण इसने हजारों को जगाया है, हजारों की जिज्ञासा शान्त की है और लाखो को करने की इसमें क्षमता है। विनय बोधि कण पे कुछ नये विषय आये है और कुछ विषय बहुत गहराई से लिए है। “१०८ प्रकार के जाप है, आत्म कल्याण का क्रमशःमार्ग” कुछ नया लगा “रात्रि भोजन त्याग, जैनियों की प्रथम पहचान" इस पर आप ज्यादा जोर देते है। आगम प्रश्नोतरी, संथारा, सामायिक या गंभीर चिन्तन प्रस्तुत किया, थोकड़ों में २५ बोल, गुणस्थान etc का गहराई से समझाकर प्रश्नोतर, अन्तगड वाचना-नव-तत्व, भगवती की वाचणी, सामायिक भाष्य ये सब आप में आगम जानकारी का ज्वलन्त उदाहरण है, तभी तो आप शिविराचार्य के नाम से पहचाने जाते हो । विनय बोधि कण स्थानक की शोमा है, घर की शान्ति है, ज्ञानीयों के लिए must, विनय बोधि कण के एक एक विषय खुलेंगे, खिलेंगे तब उसकी सुगन्ध बिखरेगी तब समाज का नया संचार होगा। महाराज श्री ने व्यवहारिक विषय, जैसे क्रोध के बोल, समस्या का समाधान, अमृत कर्णिकाए से जन जन को जगाया है, ऐसे तो आप “रात्रि भोजन त्याग” “बेआसना" पर जोर ज्यादा देते हैं, इसके कारण कितने ही कुव्यसन से बच गये, होटल छुट गया, गुटका, जर्दा छुट गया। विनय बोधि कण से नवयुवक बहुत आकर्षित हुवे है, यही कारण है कि आपके व्याख्यान में युवक की संख्या ज्यादा रहती मुझे भी आपका सानिध्य मिला : दिनभर चिन्तन, प्रश्नोतर, धर्म चर्चा पे लगे रहते है। नई सोच के रसिये है। (आगम आधारित) विनय बोधि कण" दक्षिण वालो के लिये वरदान है, पिछले १४ सालो से दक्षिण में विचरण करके जनजन को जगा रहे है। केरला कोचीन में चातुर्मास करने वाले राजस्थानी जैन साधु आप ही है, आपके चौमासे की हरदम Demand ही रहती है, कारण अच्छी समजावट, सरल मारवाड़ी भाषा, नये नये विषय etc. बेंगलुर में तो आपने जो धर्म गंगा बहाई है उसका कोई जवाब नहीं। विनय बोधि कण यह ग्रंथ अगर सभी शिविर में रखा जावे, School में College में रखा जाये तो सोने मे सुगन्ध रहेगी। इस पर Open Book परीक्षा रखे तो और भी ज्ञान की प्रमावना होगी। अन्तिम निवेदन जीवन के उद्धार के लिये पढ़िये “विनय बोधि कण" धर्म श्रद्धा को बढ़ाने के लिये पढ़िये "विनय बोधि मण" विनय बोधि कण संग्रह करने में, प्रकाशन में, जिन जिन का सहयोग है, वे सभी धन्यवाद के पात्र है। हमें ज्ञान का कण नही, मण चाहिए धन्य हो आपकी साधना, धन्य हो आपका ज्ञान !!! M. PANNALAL BAFNA श्री इन्दरचंद कोठारी, श्रीमती संगीताजी तथा सुश्री निभाजी की मेहनत ने एक नया 106, Wakkaki Complex, 289, P.H.Road, Chennai - 7 पठनीय-मननीय संकलन का प्रयास किया, जो सभी के लिए मंगल-शुभ कारी बनेगा ही। Phone : 09884701000
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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