SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सन् २००४ का मैसुर चातुर्मास की एक झलक प्रमुख : सन् २००४ का पु. श्री विनयमुनिजी खींचन म.सा के चातुर्मास में “श्री युवा उत्कर्ष संस्कार शिविर" मील के पत्थर समान सिद्ध हआ है। जो निरन्तर ९ वर्षो से चातुर्मास काल में प्रतिवर्ष चला रहे हैं । अनेक साधु साध्वीयों ने भी इस प्रयोग को शुरु कर दिया है । युवा पीढ़ी के लिए यह “ज्ञानार्जन शिविर" वरदान रुप बन चुका है। परम पू. गुरुदेव आचार्य श्री श्री १००८ तपस्वीराज श्री चंपालालजी म.सा. के शिष्य श्री विनयमुनिजी म.सा खींचन (जिन्हें शिविराचार्य के विशेषण से जाना जाता है) ने सन् २००४ का चातुर्मास मैसूर के महावीर नगर के जैन स्थानक में सानंद अभूतपूर्व सफलता के साथ संपन्न किया। इस वर्ष चातुर्मास ५ मास का होने के कारण पर्युषण पर्व की आराधना दो बार हुई, दोनों बार की आराधना में संघ के सदस्यों ने अत्यंत सौहार्द पूर्ण वातावरण में पु. मुनिश्री की पावन निश्रा में उत्कृष्ट आराधना का लाभ लिया। पु. मुनिश्री ने इस वर्ष अपनी स्वास्थ्य की प्रतिकूलता होते हुए भी जिनशासन प्रभावना के लक्ष्य से एक नया प्रयोग करते हुए प्रातः ८०० से ९-०० बजे तक के लिए पुरे चातुर्मासकाल के५ मास तक के लिए युवाओं के लिए “युवा उत्कर्ष संस्कार शिविर" चलाया जिससे अनेक अनेक सदस्य लाभान्वित हुए एवं ज्ञानार्जन का अपूर्व लाभ उठाया। पु. मुनिश्री का यह प्रयोग वास्तव में “मील का पत्थर" साबित हुआ। आज भी मैसूर में प्रातः शिविर स्थानीय श्रावकों द्वारा निर्बाध रूप से गतिमान है। पु. मुनिश्री ऐसा शिविरनिराडम्बर अपने प्रत्येक चातुर्मास में संचालित एवं आयोजित करते हैं, जिनसे अनेकों लोग लाभान्वित होकर अपने जीवन पथ को आलोकित करते है। एकासना व बेआसना के ठाठ लगे । शिविर के अलावा प्रतिदिन व्याख्यान एवं दोपहर.की ज्ञान चर्चा सभी के लिए विशेष आकर्षण एवं ज्ञानार्जन के आकर्षक बिन्दू रहे, इसमें उपस्थित श्रद्धालुओं की संख्या अति विशेष रहती थी। पु. मुनिश्री को शारीरिक अस्वस्थता के कारण करीब ७ दिन गणपति सच्चिदानंद चिकित्सा केन्द्र (आश्रम) में रूकना पड़ा जिसमें संघ के सदस्यों ने अपनी विशेष सेवा श्रद्धा के साथ प्रदान की। श्रीमान् सेवाभावी जसवंतजी कोठारी एवं श्री सेवाभावी दिलीपजी गन्ना द्वारा पूरे पाँच ही मास तक अत्यधिक सेवा वैय्यावृत्य का लाभ लिया गया। मुनिश्री दोनों श्रावको को “सेवाभावी" से पुकारते । चातुर्मास के दौरान बैंगलोर के अनेक उपनगरों, कर्नाटक के अनेक स्थानों, इरोड़, ऊटी, कुन्नुर तथा भारत वर्ष के अनेकानेक स्थानों से श्री संघो का आगमन हुआ एवं सभी ने पु. मुनिश्री के प्रवचन दर्शन का लाभ लिया । श्री जैन स्थानक मैसुर महावीर नगर में अभूतपूर्व सफलता के साथ चातुर्मास संपन्न हुआ। इस वर्षावास में संघ अध्यक्ष बी. ओ. कैलाशचंदजी बोहरा तथा संघाध्यक्ष श्री चंपालालजी सांखला ने नेतृत्व प्रदान किया ।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy