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________________ (भाग - 7) पेज नं 123 124 125 132 135 137 139 140 142 अनुक्रमणिका 1. मैसूर चातुर्मास की एक झलक 2. विनय बोधि कण, कण नहीं, विनय बोधि मण है 3. 25 बोल परिभाषाएँ 4. मैं एक आत्म दीप 5. सामायिक ज्ञान - 1 6. सामायिक ज्ञान - 2 7. सामायिक ज्ञान - 3 8. सामायिक ज्ञान - 4 9. जीव का उद्धार प्रतिदिन : आवश्यक चिन्तन 10. अमृत वृद्धि झरना 11. सूर्यो के सूर्य महावीर 12. विचित्र प्रश्न 13. ऐसा आश्चर्यकारी 14. पशु कौन, मानव कौन 15. गुणस्थान गणित 16. आराधना ज्ञान - आलोचना ज्ञान 17. संथारा - महासाधना न कि आत्महत्या 18. आत्म हत्या 19. संथारा - समाधि मरण 20. संथारा अमृत 21. महासूत्र उत्तराध्ययन - भगवान के महाउपदेश 145 145 148 149 150 152 154 157 158 159 160 161 पंच परमेष्टी स्तुति अविनाशी अविकार परम रस धाम है। समाधान सर्वज्ञ सहज अभिराम है। शुद्ध बुद्ध अविरुद्ध अनादि अनंत है। जगत शिरोमणि सिद्ध सदा जयवंत है। समता में वर्ते सदा, ममता दूर निवार । साधै मारग मोक्ष नो, वंदु ते अणगार ।।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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