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133. क्रोध से स्व पर शांति नष्ट | शांत आत्मा भीरु बनती है ।
134. क्रोध करने से भव भ्रमण बढ़ता है । 135. क्रोध का भाव निम्न स्तर है ।
136. अनंतानुबंधी क्रोध नरक गति देता है । 137. अप्रत्याख्यानी क्रोध तिर्यंच गति देता है । 138. प्रत्याख्यानावरणीय क्रोध मनुष्य गति देता है ।
139. संज्वलन क्रोध देव गति देता है । 140. अक्रोध वीतरागता देता है ।
141. अनंतानुबंधी क्रोध समकित की घात करता है ।
142. अप्रत्याख्यानी क्रोध देश विरति की घात देता 1
143. प्रत्याख्याानवरणीय क्रोध सर्व विरती की घात करता है ।
144. संज्वलन क्रोध वीतरागता की घात करता है ।
145. अपेक्षाओं से क्रोध का जन्म होता है । 146. क्रोध में कभी निर्णय न करें । 147. क्रोध की कड़वाहट जीवन का कषाय है । 148. क्रोध की उत्तेजना जंगल की आग सी फैल जाती है ।
149 क्रोध में शालीनता धूमिल होती है । 150. क्रोध से मन प्रदूषित होता है । 151. क्रोध को वश करने से मन में शीतलता आती है ।
152. क्रोध पर नियंत्रण, सहन शक्ति बढ़ाता है । 153. क्रोध को मनोबल और आत्म शक्ति जागृत कर जीता जा सकता है ।
114
154.
क्रोध एक बुरा व्यसन I 155. क्रोध अविवेक का विक्षिप्त रूप है ।
156. क्रोध कायरता जन्य कमजोरी है । 157. क्रोध माचिस की काड़ी सा स्वयं को जला देता है ।
158. क्रोध को वशीभूत करो, उसके वशीभूत मत बनो होओ।
159. क्रोध मानसिक, शाब्दिक और आचरण हिंसा को भभकाता है ।
160. क्रोध महा चण्डाल, थाली गिणे न कुंडो, जाय नरक में उंडो ।
161.
क्रोध मोहनीय कर्म का ही भेद है । 162. क्रोध से विनय बहुत दूर है। 163.
दानशील तप तपने वाले बहुत मिल जायेंगे परन्तु क्रोध छोड़ने की भावना वाले थोड़े लोग ही मिलेंगे।
165. पूजा
164. सर्प व शेर से बचना जितना सरल है, उससे भी महा कठिन है, क्रोध से बचना। सामायिक व स्वाध्यायरत लोगों की संख्या बहुत हो सकती है, परन्तु ये ही लोग “क्रोध छोड़ना व क्षमा धारण करना” इस सूत्र को जीवन में उतार लेना महा कठिन है।
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166. क्रोध की शुरुआत तो थोड़ी सी मूर्खता से ही शुरु होती है परन्तु बढ़ते बढ़ते वो बड़ा अपराध भी बन सकता है।
167. क्रोध में पहले चक्षु से अन्ध न बनकर प्रज्ञा से हीन हो जाता है।
168. क्रोध का आसेवन करने वाले करोड़ों मिलेंगे परन्तु क्रोध को कन्ट्रोल करने वाले बहुत थोड़े लोग ही होते है।