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________________ 90) तीर्थंकर भगवान के मखमण्डल के पीछे भामण्डल रहता है, सामान्य केवली के नहीं। 91) तीर्थंकर भगवान के समवशरण मे अचित पुष्प (जो वैक्रिय है, कुसुम वृष्टि) की वर्षा होती हैं, सामान्य केवली के नहीं । 92) तीर्थंकर भगवान के समवशरण में चँवर बिजाते हैं, सामान्य केवली के नहीं । तीर्थंकर भगवान के आहार विहार किसी अन्य को नहीं दिखता, केवली के दिखते 94) तीर्थंकर भगवान के नाखून व बाल बढ़ते नहीं है। जबकि केवली के बढ़ते है। तीर्थंकर भगवान का खुन सफेद रंग का होता है, जबकि केवली के भजना । 96) तीर्थंकर भगवान के श्वास की गन्ध पद्मकमल की सुगन्ध जैसी होती है, जबकि सामान्य केवली के भजना। 97) तीर्थंकर भगवान, वस्त्र रहित होने पर भी, बालक के समान सौम्य, व सुशोभित लगते है, जबकि सामान्य केवली के नहीं । तीर्थंकर को जब केवलज्ञान होता है तब देवदुन्दुभि बजती है, जबकि सामान्य . केवली के भजना । 99) तीर्थंकर भगवान के बल की उपमा, अनेक इन्द्रों से की है, सामान्य केवली के नही । 100) तीर्थंकर भगवान के जन्म पर 64 देव (शकेन्द्र - आदि) उनके राज महल में आते हैं, पर सामान्य केवली के नहीं। 101) तीर्थंकर भगवान के जन्म पर 56 दिशा कुमारियाँ आती है, जब कि सामान्य केवली नहीं। 102) तीर्थंकर भगवान के मध्यम अवधिज्ञान होता है, केवली भगवान को तीनों जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट अवधिज्ञान हो सकता है । 103) तीर्थंकर भगवान की हर देशना में प्रायः चतुर्विध संघ उपस्थित होता है, या बनता ही है, जब कि केवली के भजना । 104) तीर्थंकर भगवान धर्म के सर्वोच्च प्रवर्तक होते है, सामान्य केवली नहीं । 105) तीर्थंकर भगवान के पास प्रायः दीक्षा होती रहती है, जबकि सामान्य केवली के भजना। तीर्थंकर भगवान नियमतःस्व पर कल्याणक होते हैं, केवली के भजना । 107) तीर्थंकर नाम कर्म की स्थिति अन्तो, कोड़ा कोड़ी सागरोपम की होती है, सामान्य केवली को ये नाम कर्म की, ना तो प्रकृति होती है, ना स्थिति होती है। 108) तीर्थंकर एक युग में एक स्थान पर होते है, जब कि केवली अनेक भी । 109) तीर्थंकर भगवान आर्य क्षेत्र से ही सिद्ध होते हैं, जब कि सामान्य केवली के भजना । 110) तीर्थंकर भगवान गृहस्थावस्था में चक्रवर्ती राजा या राजकुमार होते हैं, सामान्य केवली के भजना। 111) तीर्थंकर भगवान के पीछे देव, नाथ या स्वामी बोलने की परम्परा है, जब कि सामान्य केवली के भजना। 112) तीर्थंकर भगवान अपने जीवन काल में पाँच गुणस्थानों को फरसते नहीं, 1,2,3,5 | सामान्य केवली फरस सकते हैं। 113) तीर्थंकर भगवान जहाँ पारणा करते है, वहाँ पंच दिव्य पैदा होते हैं, सामान्य केवली के भजना। 114) तीर्थंकर भगवान को अध्यापक के अध्ययन की आवश्यकता नहीं रहती, जब कि सामान्य केवली को भजना।
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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