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नियमा या भजना
1) मनुष्य गति में केवलज्ञान की : भजना
एकेन्द्रिय मे दो अज्ञान की : नियमा 3) पंचेन्द्रिय में छ: पर्याप्ति की : भजना
स्पर्शन्द्रिय मे श्रोतेन्द्रिय की : भजना श्रावक में सम्यग दृष्टि की : नियमा अनुत्तर विमान के देव में सम्यग दृष्टि
की : नियमा 7) मनुष्य में चारित्र की : भजना
मिथ्यादृष्टि में अज्ञान की : नियमा श्रावक की गति में वैमानिक देव की : नियमा
श्रावक में अवधिज्ञान की : भजना 11) अरिहन्त में साधु की : नियमा 12) साधु पद में आचार्य पद की : भजना 13) सम्यक् दर्शन में सम्यक ज्ञान की : नियमा 14) सम्यक् ज्ञान में सम्यक् चारित्र की : भजना 15) अव्रत में मिथ्यात्वी की : भजना 16) मिथ्यात्वी में अव्रत की : नियमा 17) ज्ञानावरणीय (1-12 गुणस्थान) के उदय
में, वेदनीय (1-14 गुणस्थान) के उदय
की : नियमा 18) वेदनीय के उदय में ज्ञानावरणीय के उदय
की : भजना 19) मोहनीय के बंध में आठ कर्म के उदय
की : नियमा 20) आयुष्य कर्म के बंध में सात कर्म के बंध
की : नियमा 21) नव ग्रैवेयक देव में सम्यक् दृष्टि की : भजना 22) सर्वार्थ सिद्ध मे तीन ज्ञान की : नियमा 23) असन्नी मनुष्य में दो अज्ञान की : नियमा 24) जैन-साधु में पाँच ज्ञान की : भजना 25) सम्यक् चारित्र में सम्यक ज्ञान की : नियमा 26) आत्मा में दो उपयोग की : भजना ।
27) सिद्धों में दो उपयोग की : नियमा
मति-ज्ञान में श्रुतज्ञान की : नियमा 29) श्रुतज्ञान में मति ज्ञान की : नियमा 30) अवधिज्ञान में श्रुतज्ञानकी : नियमा 31) मनःपर्यय ज्ञान में मतिश्रुत ज्ञान की : नियमा
मनःपर्यय ज्ञान में अवधि ज्ञान की : भजना 33) मति ज्ञान में अवधिज्ञान की : भजना 34) सम्यक् दृष्टि में तीन ज्ञान की : भजना 35) तीन ज्ञान में सम्यक दृष्टि की : नियमा 36) पर दया में स्व दया की : भजना 37) स्व दया में पर दया की : नियमा
क्षायिक भाव में क्षयोपशम भाव की : भजना 39) क्षयोपशम भाव में क्षायिक भाव की : भजना 40) उपशम भाव में क्षयोपशम भाव की : भजना 41) क्षयोपशम भाव में उपशम भाव की : भजना
पारिणामिक भाव मे, क्षायिक, उपशम,
क्षयोपशम भाव की : भजना 43) क्षायिक, उपशम व क्षयोपशम भाव में
पारिणामिक भाव की : नियमा दर्शन में ज्ञान की : भजना ज्ञान में दर्शन की : नियमा चारित्र में ज्ञान दर्शन की : नियमा ज्ञान, दर्शन में चारित्र की : भजना जन्मने में मरने की : नियमा मरन में जन्मने की : भजना अघाती कर्म में घाती कर्म की : भजना
घाती कर्म में अघाती कर्म की : नियमा 52) उदय भाव में क्षायिक भाव की : भजना
उदय भाव में परिणामिक भाव की : नियमा
करण पर्याप्त में लब्धि अपर्याप्त की : भजना 55) लब्धि अपर्याप्त में करण पर्याप्त की : नियमा
लब्धि पर्याप्त में करण पर्याप्त की : नियमा 57) करण अपर्याप्त में लब्धि पर्याप्त की : भजना 58) करण अपर्याप्त में लब्धि अपर्याप्त की : भजना
56)