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________________ ( पुण्य खरचने का थोकड़ा ) 100 वर्ष में वाणव्यन्तर देव 200 वर्ष में नवनिकाय देव 300 वर्ष में असुरकुमार देव 400 वर्ष में ज्योतिषी देव 86) प्रतिक्रमण के पर्यायवाची नाम टीका में कौन कौन से है? उ. प्रतिक्रमण : अपने स्व (संयम) स्थान में पुनः लौटना। प्रतिचरणा : संयम साधना में अग्रसर रहना प्रतिहना : अशुभ दुर्ध्यान और दुराचार का त्याग करना वारणः विषय कषाय का कारण दूर करना (रोकना) निवृत्ति : प्रमाद से अशुभ योग में गये, उसको शुभ योगों मे लाना । 87) स्वप्न में क्या विशेषता है? (तीर्थंकर की माता) उ. देवलोक से आये हुए जीवों की माता को विमान दिखता है, और नरक से आए जीव की माता को भवन दिखता है। तीर्थंकर का जन्मोत्सव कितने इन्द्र करते 500 वर्ष में पहले, दूसरे देवलोक के देव 1000 वर्ष में तीसरे, चौथे देवलोक के देव 2000 वर्ष में पाँचवे, छठे देवलोक के देव 3000 वर्ष में सातवे, आठवे देवलोक के देव 4000 वर्ष में नवे, दसवे देवलोक के देव 5000 वर्ष में ग्यारवे एवं बारहवे देवलोक के देव 1 लाख वर्ष में नवग्रेवेयक की पहली त्रिक के देव 2 लाख वर्ष में नवग्रेवेयक की दूसरी त्रिक के देव 3 लाख वर्ष में नवग्रेवेयक की तीसरी त्रिक के देव 4 लाख वर्ष में चार अनुत्तर विमान के देव उ. 64 इन्द्र 89) तिरछे लोक से मेरुपर्वत तक तीर्थंकर को 'ले जाने का काम कौन करता है? उ. पहले देवलोक का इन्द्र - शकेन्द्र महाराज । 90) साधु के 18000 गुण कैसे बनते है ? उ, तीन करण, तीन योग, चार संज्ञा, पांच इन्द्रिय, दस आरम्भ (5 स्थावर, 3 विकलेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय, अजीव) दस यति धर्म का गुणा करने पर 3x3=9x4=36x5=180x10=1800x10=18,000 ये (शीलांग रथ) गुण होते है, ये आवश्यक सूत्र में आता है। 5 लाख वर्ष में सर्वार्थ सिद्ध विमान के देव नोट : जितना पुण्य 100 वर्ष में वाणव्यन्तर देव खर्च करते उतना ही पुण्य, 5 लाख वर्ष में सर्वार्थ सिद्ध विमान के देव खर्च करते है । सार यह है कि पुण्य जल्दी जल्दी खर्च होता है तथा नये कर्मो का बंध भी होता है। चक्रवर्ती छ: खण्ड को छोड़कर संयम लेता है, और एक तू छ: कमरे वाला एक मकान भी छोड़ नहीं सकता है। कैसी मोह दशा?
SR No.002325
Book TitleVinay Bodhi Kan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaymuni
PublisherShwetambar Sthanakwasi Jain Sangh
Publication Year2014
Total Pages336
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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