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अः, एतानि षडक्षराणि स्वराधराणि भवन्ति । अ च त याः १ गुणोत्तराः । कटपय शाः गुणाधराः । ड ज द लाः गुणोत्तराः । ग ड ब हाः गुणाधराः भवन्तीति गुणोत्तराः ।
अर्थ - उत्तर के नौ भेद हैं- उत्तरोत्तर, उत्तराधर, अधरोत्तर, अधराधर, वर्गोत्तर, अक्षरोत्तर, स्वरोत्तर, गुणोत्तर और आदेशोत्तर । अ और चवर्ग उत्तरोत्तर; चवर्ग और टवर्ग उत्तराधर; तवर्ग और पवर्ग अधरोत्तर और यवर्ग और शवर्ग अधराधर होते हैं । प्रथम और तृतीय वर्गवाले अक्षर वर्गोत्तर, द्वितीय और चतुर्थ वर्गवाले अक्षर अधरोत्तर एवं पंचम वर्गवा अक्षर दोनों - प्रथम और तृतीय के साथ मिला देने से क्रमशः वर्गोत्तर और वर्गाधर होते हैं। क गङ च ज ञ ट ड ण त द न प ब म य ल श स ये १६ वर्ण उत्तरसंज्ञक; शेष ख घ छ झ ठ ढ थ ध फ भर व ष ह ये १४ वर्ण अधर संज्ञक; अ इ उ ए ओ अं ये ६ वर्ण स्वरोत्तरसंज्ञक; अ च त य उ ज द ल ये ७ वर्ण गुणोत्तर संज्ञक और क ट प श ग
1
ये ८ वर्णगुणाधरसंज्ञक होते हैं ।
विवेचन - प्रश्नकर्ता के प्रश्नाक्षरों का पहले कहे गये संयुक्त, असंयुक्त, अभिहत, अनभिहत, अभिघातित, आलिंगित, अभिधूमित और दग्ध इन आठ प्रकारों से विचार करना चाहिए। किन्तु इनमें भी सूक्ष्म रीति से प्रश्न का विचार करने के लिए उत्तरोत्तर, उत्तराधर, अधरोत्तर आदि उपर्युक्त नौ भेदों के अनुसार प्रश्नाक्षरों का विचार करना आवश्यक है। प्रश्न का वास्तविक उत्तर निकालने के लिए आलिंगित ( पूर्वाह्नकाल ), अभिधूमित (मध्याह्न) और दग्ध (अपराह्न) इन तीनों में गणित क्रिया द्वारा निम्न प्रकार से पिण्ड बनाकर उत्तर देना चाहिए।
आलिंगित (पूर्वाह्न) काल में पिण्ड बनाने की विधि - यदि आलिंगित काल का प्रश्न हो तो वर्गसंख्या सहित वर्ण की संख्या को वर्ग संख्या सहित स्वर की संख्या से गुणा करने पर जो गुणनफल आए, वही पिण्ड होता है ।
(१) स्वरसंख्याचक्र
अ -
Or m
१
आ = २
= ३
For to 15
उ
ऊ
= ४
= ५
=
१. अथ गुणोत्तराः:- अ च त. याः -ता. मू. ।
२. अधराः -ता. मू. ।
३. उत्तराः -ता. मू. ।
४. अधराः -ता. मू. ।
ऋ = ७
ॠ
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लृ
II
हिय नम
लृ
ए
|| | ||
=
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१०
११
ओ =
ल ल ल लं
१२ अं
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१३
१४
५
१६
केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : ८५