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पृथ्वी
वायु
वृश्चिक जल
६ कन्या
७ तुला
६ धनु
१० मकर
११ कुम्भ
१२ मीन
अग्नि
पृथ्वी
वायु
जल
निर्जल (0)
पादजल (7)
पादजल (7)
अर्द्धजल (2)
पूर्णजल (1)
अर्द्धजल (३)
पूर्णजल (१)
दीर्घ
दीर्घ
दीर्घ
सम
सम
हस्व
हस्व
उपर्युक्त संज्ञाओं पर से शारीरिक स्थिति ज्ञात करने के नियम
१. लग्न जलराशि हो और उसमें जलग्रह की स्थिति हो तो जातक का शरीर मोटा
होगा ।
२०४ : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि
२. लग्न और लग्नेश जलराशि गत होने से शरीर खूब मोटा होता है ।
३. यदि लग्न अग्निराशि हो और अग्नि ग्रह उसमें स्थित हो तो शरीर दुबला, पर मनुष्य बली होता है।
४. अग्नि या वायुराशि लग्न हो और लग्नेश पृथ्वीराशि गत हो तो हड्डियाँ साधारणतः मजबूत होती हैं और शरीर ठोस होता है ।
५. यदि अग्नि या वायुराशि लग्न हो और लग्नेश जलराशि में हो तो शरीर स्थूल
होता है।
६. लग्न वायु राशि हो और उसमें वायु ग्रह स्थित हो तो जातक दुबला, पर तीक्ष्ण बुद्धिवाला होता है ।
७. लग्न पृथ्वीराशि हो और उसमें पृथ्वी ग्रह स्थित हो तो शरीर नाटा होता है। ८. पृथ्वी राशि लग्न हो और लग्नेश पृथ्वीराशि गत हो तो शरीर स्थूल और होता
दृढ़
है।
६. पृथ्वी राशि लग्न हो और लग्नेश जलराशि में हो तो शरीर साधारणतः स्थूल होता है । लग्न की राशि ह्रस्व, दीर्घ या सम जिस प्रकार की हो, उसके अनुसार जातक के शरीर की ऊँचाई होती है
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लग्नेश' और लग्न राशि के स्वरूप के अनुसार जातक के रूप-वर्ण का निश्चय करना चाहिए। मेष लग्न में लाल मिश्रित सफेद, बृष में पीला मिश्रित सफेद, मिथुन में गहरा लाल मिश्रित सफेद, कर्क में नीला, सिंह में धूसर, कन्या में घनश्याम, तुला में लाल मिश्रित कृष्ण, वृश्चिक में बादामी, धनु में पीत, मकर में चितकबरा, कुम्भ में नील और मीन में गौर वर्ण
१. लग्न स्थान की राशि का स्वामी