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________________ कुम्भ-पुरुष, स्थिर, वायुतत्त्व, विचित्रवर्ण, शूद्र, क्रूर एवं पश्चिम दिशा की स्वामिनी है। इसका प्राकृतिक स्वभाव विचारशील, शान्तचित्त, धर्म और नवीन बातों का आविष्कारक है। इससे पिंडली का विचार करते हैं। मीन-द्विस्वभाव, स्त्री, कफप्रकृति, पिंगल वर्ण, विप्र और उत्तरदिशा की स्वामिनी है। इसका प्राकृतिक स्वभाव उत्तम, दयालु और दानशील है। इससे पैरों का विचार किया जाता ग्रहों की दृष्टि-अपने से तीसरे और दसवें स्थान को एकपाद दृष्टि से, पाँचवें और नौवें को दोपाद दृष्टि से, चौथे और आठवें को तीनपाद दृष्टि से और सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। मंगल चौथे और आठवें स्थान को, शनि तीसरे और छठे स्थान को तथा गुरु पांचवें और नौवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है। द्वादश भावों के संक्षिप्त फल प्रथम भाव या लग्न विचार-प्रथम भाव से शरीर की आकृति, रूप आदि का विचार किया जाता है। इस भाव में जिस प्रकार की राशि और ग्रह होंगे, जातक का शरीर और रूप भी वैसा ही होगा। शरीर की स्थिति के सम्बन्ध में विचार करने के लिए ग्रह और राशियों के तत्त्व नीचे दिये जाते हैं १ सूर्य २ चन्द्र Kc and .. ग्रहों के स्वभाव और तत्त्व शुष्कग्रह अग्नितत्त्व जलग्रह जलतत्त्व शुष्कग्रह अग्नितत्त्व पृथ्वीतत्त्व जलग्रह आकाश या तेजतत्त्व जलग्रह जलतत्त्व शुष्कग्रह वायुतत्त्व जलग्रह ५ गुरु ६ शुक्र ७ शनि राशियों के तत्त्व तथा उनका विवरण १ मेष अग्नि (तत्त्व) पादजल (1) ह्रस्व (आकार) २ वृष पृथ्वी अर्द्धजल (३) ह्रस्व ३ मिथुन वायु निर्जल(०) कर्क जल पूर्णजल (१) सिंह अग्नि निर्जल (०) दीर्घ 앞 쑴 녘 परिशिष्ट-२ : २०३
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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