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________________ दिक्चक्र-गजावलोकन ईश ११ उ.य. १० वाय.प. € पू. अ. ४ संयुक्त वेला प्रश्न प. त. τ १५२ : अ. क. ५ द. च. ६ नै. ट. ७ अ आ इ ई उ ४ अ नद्यावर्त चक्र केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि गजावलोकन स्वर-व्यंजनाङ्क चक्र ड € क ख ५ tw ५ ६ ७ ८ ६ १० ११ १२ १३ १४ १५ how mr r ऊ ५ ग घ ङ च छ ज झ ६ ७ τ ६ ६ ७ ८ ६ १० ढ ण त ध थ द ११८ ६ १० ११ १० म य १३ १० ए ऐ ओ औ अं अः ल उदाहरण - संयुक्तवेला का प्रश्नवाक्य 'कैलास पर्वत' है । पृच्छक ने पूर्व दिशा की ओर मुख कर प्रश्न किया है अतः उसके पीछे की दिशा पश्चिम का दिगंक ८ ग्रहण किया । प्रश्नाक्षरों की स्वर व्यंजनांक संख्या को दिगंक से गुणा करना है। अतः प्रश्नवाक्य के विश्लेषणानुसार- क् + ऐ + ल् + आ + स् + अ + प् + अ + र् + व् + अ + त् + अ = ५ + १२ + १६ + ६ + ११ + १३ + ८ = ७४ व्यंजनांक ११ + ५ + ४ + ४+४+४ = ३२ स्वरांक ३२ + ७४ = १०६ प्रश्नांक, १०६ ८ = ८४८ पिण्डांक, ८४८ : ३ = २८२ लब्धि, २ शेष, अतः धातुचिन्ता का प्रश्न हुआ। ८४८ + २८२ ११३० ÷ २ = ५६५ लब्धि, शेष ० । अतः इसका फल हानि कहना चाहिए । पुनः पिण्डांक में लब्धि को जोड़ा तो ८४८ + ५६५ + १४१३ ÷ २ ७०६ लब्धि, शेष १। अतः सुख फल समझना चाहिए। = 응외 क ख ग घ ङ च छ ज झ १ २ ड ढ ३ ४ म य १ ञ ३-नद्यावर्त चक्र-अवर्गादि के एक-एक वृद्धिक्रम से अंक स्थापन कर स्वर-व्यंजनांक स्थापित कर लेना चाहिए । अधर वर्ग प्रश्नाक्षर हों, तो व्यंजन और स्वर संख्या का योग कर आठ से भाग देने पर एकादि शेष में क्रमशः अ वर्ग, क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग य वर्ग और श वर्ग ग्रहण करने चाहिए। ३ ४ ५ ण त थ ५ १ २ र ल व २ ३ ४ न प भ १२६ १० ११ १२ र ल व श ष ० ० ० स ह ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ ० ० ० उत्तर वर्ण प्रश्नाक्षर हों, तो स्वर और व्यंजनांक की संख्या को १३ से गुणा कर १२ जोड़ देने पर प्रश्नपिण्डांक हो जाता है । इस प्रश्न पिण्डांक में ८ से भाग देने पर एकादि शेष में क्रमशः अवर्गादि समझने चाहिए | पश्चात् लब्धि को प्रश्न पिण्ड में जोड़कर ५ का भाग देने पर शेष नाम का प्रथम वर्ण जानना । १ द ३ श १ 8 २ ध ४ ष २ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः १ फ ब स ह ३ ट 9to 155 255 20 ७ ८ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ € १० ११ १२ ३ ४ न प ५ १ २ फ 10 ० ञ ट 어 ५ १ २ भ ४ ब = moo ३ ० लं ४ ० ० ० ०
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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