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दिक्चक्र-गजावलोकन
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उदाहरण - संयुक्तवेला का प्रश्नवाक्य 'कैलास पर्वत' है । पृच्छक ने पूर्व दिशा की ओर मुख कर प्रश्न किया है अतः उसके पीछे की दिशा पश्चिम का दिगंक ८ ग्रहण किया । प्रश्नाक्षरों की स्वर व्यंजनांक संख्या को दिगंक से गुणा करना है। अतः प्रश्नवाक्य के विश्लेषणानुसार- क् + ऐ + ल् + आ + स् + अ + प् + अ + र् + व् + अ + त् + अ = ५ + १२ + १६ + ६ + ११ + १३ + ८ = ७४ व्यंजनांक ११ + ५ + ४ + ४+४+४ = ३२ स्वरांक ३२ + ७४ = १०६ प्रश्नांक, १०६ ८ = ८४८ पिण्डांक, ८४८ : ३ = २८२ लब्धि, २ शेष, अतः धातुचिन्ता का प्रश्न हुआ। ८४८ + २८२ ११३० ÷ २ = ५६५ लब्धि, शेष ० । अतः इसका फल हानि कहना चाहिए । पुनः पिण्डांक में लब्धि को जोड़ा तो ८४८ + ५६५ + १४१३ ÷ २ ७०६ लब्धि, शेष १। अतः सुख फल समझना चाहिए।
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३-नद्यावर्त चक्र-अवर्गादि के एक-एक वृद्धिक्रम से अंक स्थापन कर स्वर-व्यंजनांक स्थापित कर लेना चाहिए । अधर वर्ग प्रश्नाक्षर हों, तो व्यंजन और स्वर संख्या का योग कर आठ से भाग देने पर एकादि शेष में क्रमशः अ वर्ग, क वर्ग, च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग य वर्ग और श वर्ग ग्रहण करने चाहिए।
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उत्तर वर्ण प्रश्नाक्षर हों, तो स्वर और व्यंजनांक की संख्या को १३ से गुणा कर १२ जोड़ देने पर प्रश्नपिण्डांक हो जाता है । इस प्रश्न पिण्डांक में ८ से भाग देने पर एकादि शेष में क्रमशः अवर्गादि समझने चाहिए | पश्चात् लब्धि को प्रश्न पिण्ड में जोड़कर ५ का भाग देने पर शेष नाम का प्रथम वर्ण जानना ।
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