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मास अथवा तीन वर्षों में; ई हो तो चार दिन या चार मास अथवा चार वर्षों में; उ हो तो पाँच दिन या पाँच मास अथवा पाँच वर्षों में; ऊ हो तो छः दिन या छः मास अथवा छः वर्षों में; ए हो तो सात दिन या सात मास अथवा सात वर्षों में; ऐ हो तो आठ दिन या आठ मास अथवा आठ वर्षों में; ओ हो तो नौ दिन या नौ मास अथवा नौ वर्षों में; औ हो तो दस दिन या दस मास अथवा दस वर्षों में; अं हो तो ग्यारह दिन या ग्यारह मास अथवा ग्यारह वर्षों में एवं अः हो तो बारह दिन या बारह मास अथवा बारह वर्षों में कार्य पूरा होता है। समय-मर्यादा से सम्बन्ध रखनेवाले जितने प्रश्न हैं, उन सबकी अवधि उपर्युक्त ढंग से ही ज्ञात करनी चाहिए। इसी प्रकार स्वर संयुक्त क ख ग घ - का कि की कु कू के कै को कौ कं कः; खा खि खी खु खू खे खै खो खौ खं खः; ग गा गि गी गु गू गे गै गो गौ गं गः; घ घा घि घी घु घू घे घै घो घौ घं घः - प्रश्नाक्षरों के होने पर गाँव से बाहर चार कोश की दूरी पर पृच्छक की वस्तु एवं चार दिन या चार मास अथवा चार वर्षों के भीतर उस कार्य की सिद्धि कहनी चाहिए। च छ ज झ स्वर संयुक्त प्रश्नाक्षरों- -च चा चि ची चु चू चे चै चो चौ चं चः; छ छा छि छी छू छु छे छै छो छौ छं छः; ज जा जि जी जु जू जे जै जो जौ जं जः; झ झा झि झी झू झु झे झै झो झौ झं झः - के होने पर आठ दिन या आठ मास अथवा आठ वर्षों में कार्य होता है । ट ठ ड ढ स्वर संयुक्त प्रश्नाक्षरों-ट टा टि टी टु टू टे टै टो टौ टं टः; ठ ठा ठि ठी ठु ठू ठे ठै ठो ठौ ठं ठः; डी डु डू डे डै डो डौ डंडः; ढ ढा ढि ढी ढु ढू ढे ढै ढो ढौ ढं ढः - के होने पर बारह दिन या बारह मास अथवा बारह वर्षों में कार्य सिद्ध होता है । इसी प्रकार आगे भी स्वर - संयोग की प्रक्रिया समझ लेनी चाहिए । जब नष्टजातक का प्रश्न हो, उस मास इस स्वर - व्यंजन संयुक्त प्रक्रिया पर से जातक की गत आयु निकालनी चाहिए | पश्चात् पूर्वोक्त विधि से जन्ममास, जन्मदिन, जन्मपक्ष और जन्म संवत् जान कर आगेवाली विधिपर-से इष्ट काल और लग्न का साधन कर नष्ट जन्मपत्री बना लेनी चाहिए ।
इस गव्यूति संख्यापर से जय-पराजय का समय बड़ी आसानी से निकाला जा सकेगा, क्योंकि पृच्छक के प्रश्नाक्षरों पर से जय-पराजय की व्यवस्था का विचार कर पुनः उपर्युक्त विधि से समय अवधि का निर्देश करना चाहिए । सुख-दुःख, रोग-नीरोग, हानि-लाभ एवं समय के शुभाशुभत्व के निरूपण के लिए भी उपर्युक्त दिन, मास और संवत्सर संख्या की व्यवस्था परमोपयोगी है। अभिप्राय यह है समस्त कार्यों की समय मर्यादा के कथन में उपर्युक्त व्यवस्था का अवलम्बन लेना चाहिए। समय सीमा का आनयन प्रश्न कुण्डली की ग्रह स्थिति पर से भी कर लेना आवश्यक है। उपर्युक्त दोनों विधियों के समन्वय से ही फलादेश कहना उपयोगी होगा ।
गादि शब्दों के स्वर संयोग का विचार
अथ गादीनां स्वरसंयोगमाह - ग गा २, गि गी३, गु गू४, गे गै५, गो गौ ६, गं गः ७ । अथ खादीनां स्वरसंयोगमाह - ख खा३, खि खी ४, खु खू ५, खे खै ६, खो
केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : १३३