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भ व हाः श्रावणः, उ ऊ ङ अ भाद्रपदः, न म अं अः आश्वियुजः (युक)।
अर्थ-दिन, मास और संवत्सर की परीक्षाको कहते हैं। इन दिनादि की परीक्षा में सर्व-प्रथम मास परीक्षा का विचार किया जाता है। यदि प्रश्नाक्षर अ ए क हों तो फाल्गुन, च ट हों तो चैत्र, त प हों तो कार्तिक, य श हों तो अगहन, आ ऐ ख छ ठ हों तो पौष, थ फ र ष हों तो माघ, इ ओ ग ज ड द हों तो वैशाख, द ब ल स हों तो ज्येष्ठ, ई
औ घ झ ढ हों तो आषाढ़, ध भ व ह हों तो श्रावण, उ ऊ ङ ञ ण हों तो भाद्रपद एवं न म अं अः हों तो आश्विन-क्वार मास समझना चाहिए। अभिप्राय यह है कि अ एक अक्षर फाल्गुन संज्ञक, च ट चैत्र संज्ञक, त प कार्तिक संज्ञक, य श अगहन-संज्ञक, आ ऐ ख छ ठ पौष संज्ञक, थ फ र ष माघ संज्ञक, इ ओ ग ज ड वैशाख संज्ञक, द ब ल स ज्येष्ठ संज्ञक, ई औ घ झ ढ आषाढ़ संज्ञक, ध भ व ह श्रावण संज्ञक, उ ऊ ङ ञ ण भाद्रपद संज्ञक, न म अं अः आश्विन संज्ञक हैं। ...
मास-संज्ञाबोधक चक्र
क्वार कार्तिक
अगहन
पौष
माघ
फाल्गुन
मास नाम वैशाख ज्येष्ठ आषाढ़ श्रावण भाद्रपद
चैत्र
. अक्षरों का इ ओ ग ज ड द ब ल स ई औ घ झ ढ विवरण ध भ व ह उ ऊ ङ ञण चट
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अर्हच्चूडामणि सारोक्त संज्ञाएँ
इ ओ ग ज ड द ब ल स ई औ घ झ ढ
ध भ व ह उ ऊ ऊ ण न अं अः अनुस्वार विसर्ग
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विवेचन-आचार्य ने जो मास संज्ञक अक्षर बतलाये हैं, उनका उपयोग नष्ट जातक, कार्यसिद्धि, नष्ट वस्तु की प्राप्ति, पथिक आगमन, लाभालाभ, जय-पराजय एवं अन्य समयसूचक प्रश्नों के फल अवगत करने के लिए करना चाहिए। यदि पृच्छक के आध प्रश्नाक्षर अ ए क हों या समस्त प्रश्नाक्षरों में ये तीन अक्षर हों तो कार्य सिद्धि के प्रश्न १. “होइ चटेहि चित्ते वैसाहो होइ गजडेहिं वण्णेहिं। जिट्ठोवि दबलसेहिं ई औघझढेहिं आसाढो॥ णहु होइ दभवहेहिं
सरिरिउ सरङञणेहिं भजवउए। बिंदुविसग्गा असेसय पंचमवण्णेहिं आसिण तु ॥ तहतप कत्तिकमासो कहितु पढमेहिं दोहिं वण्णेहिं। यशवण्णेहिं वि दोहि मिअसर णामो अ मासो आ॥ आईखछठेहिं सोऽथ फरषवण्णेहि होइ तहा माहो। फग्गुणमासो ससिमुणि सरसहिं तहकवारेण ॥-अ. चू. सा. गा. ६६-७२।
केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि : १२७