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________________ शुक्ल-पीता':, आरोहणाक्षराः२, संवत्सराक्षराः,३ अलाभकराः, सर्वदिशः दर्शका भवन्ति। अर्थ-इ ओ ग ज ड द ब ल स ये वर्ण त्रिकोण-तिकोने, हरे रंग के, दिवसाक्षर दिनबली अर्थात् उसी दिन में फल देने वाले, युवक संज्ञक, नागोरग जाति के, गर्भ के प्रश्न में पुत्र उत्पन्न करनेवाले और पश्चिम दिशा में निवास करनेवाले हैं। ई और घ झ ढ ध भ ह ये वर्ण चौकोर, मध्यम में छिद्रवाले, मासाक्षर-मासबली अर्थात् मास के मध्य में फल देनेवाले, यौवन को नष्ट करनेवाले, गौर-श्यामवर्ण-गेहुआँ रंग और उत्तर दिशा में निवास करनेवाले हैं। उ ऊ ङञ ण न म अं अः ये वर्ण शुक्ल-पीतवर्ण, आरोहणाक्षर-ऊपर वृद्धिगत होनेवाले, संवत्सराक्षर-संवृत्त में बली अर्थात् एक वर्ष में फल देनेवाले, लाभ नहीं करनेवाले और सभी दिशाओं को देखनेवाले होते हैं। विवेचन-यदि प्रश्नाक्षरों के आद्य वर्ण इ ओ ग ज ड द ब ल स हों तो चोरी के प्रश्न में चोर युवक; काले रंग का, मध्यम कद वाला और पश्चिम दिशा का निवासी होता है। उपर्युक्त प्रश्नाक्षरों के होने पर चोरी गयी वस्तु की प्राप्ति एक दिन के बाद होती है तथा चोरी की वस्तु जमीन के भीतर गड़ी समझनी चाहिए। सन्तान प्रश्न में जब उपर्युक्त वर्ण प्रश्न के आद्य वर्ण हों या समस्त प्रश्नाक्षरों में उपर्युक्त वर्णों की अधिकता हो तो सन्तान लाभ समझना चाहिए। गर्भस्थ कौन-सी सन्तान है? यह ज्ञात करने के लिए उक्त प्रश्न स्थिति में पुत्रलाभ कहना चाहिए। जिस व्यक्ति की उम्र ३० वर्ष से अधिक हो गयी है, यदि ऐसा व्यक्ति सन्तान प्राप्ति के लिए प्रश्न करता है, तो उपर्युक्त प्रश्न स्थिति में निश्चय सन्तान प्राप्ति का फल कहना चाहिए। धनलाभ के प्रश्न में जब आद्य प्रश्नाक्षर इ ओ ग ज ड द ब ल स हो, या समस्त प्रश्नाक्षरों में इन वर्गों की अधिकता हो तो अल्पलाभ कहना चाहिए। यदि समस्त प्रश्नाक्षरों में तृतीय वर्ग के पाँच या सात वर्ण हों तो निश्चित धनलाभ और दो-तीन वर्गों के होने पर धनहानि कहनी चाहिए। मतान्तर में कहा गया है कि जब प्रश्नाक्षरों के आद्य अक्षर इ ओ ब ल स हों तो शारीरिक कष्ट और सन्तानमरण होता है। मुकद्दमा-विजय के प्रश्न में जब प्रश्नाक्षर उपर्युक्त हों तो विजय में सन्देह समझना चाहिए। ग ज द ये वर्ण यदि प्रश्नाक्षरों के आदि में हों तो निश्चित रूप से मुकद्दमा में हार कहनी चाहिए। रोग-निवृत्ति के प्रश्न में जब इ ओ ड प्रश्नाक्षरों के आद्य वर्ण हों तो रोगी की मृत्यु या मृत्युतुल्य कष्ट एवं ल स ज आद्य वर्ण हों तो बहुत समय के बाद प्रयत्न करने पर रोगनिवृत्ति कहनी चाहिए। यदि प्रश्नाक्षरों के आद्य वर्ण चतुर्थ वर्ग के-ई औ घ झ ढ ध भ व ह हों या प्रश्नाक्षरों में इन वर्गों की अधिकता हो तो चोरी के प्रश्न में वृद्ध, गेहुआँ वर्ण वाला, उत्तर दिशा का निवासी एवं लम्बे कद का व्यक्ति चोर कहना चाहिए। उपर्युक्त प्रश्नाक्षरों के होने पर चोरी १. शुकाः, पीताः-क. मू.। २. अरुणाक्षरा:-क. मू.। ३. गौरः श्यामः कृष्णसंवत्सराक्षराः-क. मू.। ४. दर्शितः-क. मू.। १२४ : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि
SR No.002323
Book TitleKevalgyan Prashna Chudamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages226
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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