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ग्रैवेयकादयः । हस्ताभरणं कङ्कणाङ्गुलीयकमुद्रिकादयः । जंघाभरणं जंघाघण्टिकादयः । पादाभरणं नूपुरमुद्रिकादयः । तत्रोत्तरेषु नराभरणम्' अधरेषु नार्याभरणम् । उत्तराक्षरेषु दक्षिणाभरणमधराक्षरेषु वामाभरणम् तत्र नाम्ना विशेषः । देवानां पक्षिणां च पूर्वोक्तवज्ज्ञेयम् । गृहाभरणं द्विविधं भाजनं भाण्डचेति । तत्र नाम्ना विशेषः ।
अर्थ - घटित धातु के तीन भेद हैं- जीवाभरण - आभूषण, गृहाभरण - पात्र और नाणक - सिक्के, नोट, रुपये आदि । द्विपद-अ ए क च ट त प य श प्रश्नाक्षर हों तो द्विपदाभरण—–दो पैरवाले जीवों का आभूषण होता है। इसके तीन भेद हैं - देवताभूषण, पक्षि आभूषण और मनुष्याभूषण । मनुष्याभूषण के शिरसाभरण, कर्णाभरण, नासिकाभरण, ग्रीवाभरण, कण्ठाभरण, हस्ताभरण, जंघाभरण और पादाभरण ये आठ भेद हैं। इन आभूषणों में मुकुट, खौर, सीसफूल आदि शिरसाभरण; कानों में पहने जानेवाले कुण्डल, एरिंग (बुन्दे ) आदि कर्णाभरण; नाक में पहने जानेवाली मणि की लौंग, बाली आदि नासिकाभरण; कण्ठ में पहने जानेवाली कण्ठी, हार आदि ग्रीवाभरण; गले में पहने जानेवाली हँसुली, हार आदि कण्ठाभरण; हाथों में पहने जानेवाले कंकड़, अँगूठी, मुदरी, छल्ला आदि हस्ताभरण; जाँघों में बाँधे जानेवाले घुँघरू, क्षुद्रघण्टिका आदि जंघाभरण और पैरों में पहने जानेवाले बिछुए, छल्ला, पाजेब आदि पादाभरण होते हैं । प्रश्नाक्षरों में उत्तर वर्णों- क ग ङ च ज ञ ट ड णत द न प ब म य ल श स के होनेपर मनुष्याभरण और अधराक्षरों- -ख घ छ झ ठ ढथ ध फभर व ष ह के होनेपर स्त्रियों के आभूषण जानने चाहिए । उत्तराक्षर प्रश्नवर्णों के होने पर दक्षिण अंग का आभूषण और अधराक्षर प्रश्नवर्णों के होनेपर वाम अंग का आभूषण कहना चाहिए। इन आभूषणों में भी नाम की विशेषता समझनी चाहिए। प्रश्न श्रेणी में अ क ख ग घ ङ इन वर्गों के होनेपर देवों के आभूषण और त थ द ध न प फ ब भ म इन वर्णों के होनेपर पक्षियों के आभूषण कहने चाहिए । विशेष बातें देव और ' पक्षि योनि के समान पहले की तरह जाननी चाहिए । गृहाभरण के पात्रों के दो भेद हैं - भाजन - मिट्टी के बर्तन और भाण्ड - धातु के बर्तन । नाम की विशेषता प्रश्नाक्षरों के अनुसार जान लेनी चाहिए ।
विवेचन - प्रश्नकर्ता के प्रश्नाक्षरों के प्रथम वर्ण की अइ ए ओ इन चार मात्राओं में से कोई मात्रा हो तो जीवाभरण, आ ई ऐ औ इन चार मात्रओं में से कोई मात्रा हो तो गृहाभरण और ँ ऊ अं अः इन चार मात्राओं में से कोई मात्रा हो तो नाक धातु की चिन्ता कहनी चाहिए। क ख ग घ च छ ज झ ट ठ ड ढ य श ह अ आ इ ओ अः ए इन प्रश्नाक्षरों के होने से जीवाभरण समझना चाहिए । यदि प्रश्न श्रेणी में च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण इन वर्णों में से कोई भी वर्ण प्रथमाक्षर हो तो मनुष्याभरण कहना चाहिए । प्रश्नश्रेणी के साथ वर्ण में अ आ इन दोनों मात्राओं के होने से शिरसाभरण, इ ई इन दोनों
१. अधरोत्तरेषुनार्याभरणम् - क. मू. ।
२. देवानां पक्षिणां चेति पाठो नास्तिक. मू. ।
११० : केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि