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________________ महावीर के जीवन के मार्मिक प्रसंग/40 तप, तीन माह वाले दो बार तप, ढाई माह वाले छ: बार तप, डेढ माह वाले दो बार, एक माह वाले 12 बार, 15 दिन वाले 72 बार। आज भी तपस्वियों के उदाहरण हैं , जिन्होंने पांच माह या अधिक तक तप कर पारण किया, लेकिन कदाचित ही किसी ने इतनी दीघ्र अवधि तक तपकर, कर्म निर्जरा की हो! अहिंसा के अभिनव-प्रयोग में जो उन्होंने छ: माह में पांच दिन कम वाला, व्रत (उपवास), कोशाम्बी नगरी में अपने आत्मोद्धार के लिए दृढ़ संकल्प के साथ रखा था, वह तप तत्कालीन सामाजिक-विकृतियाँ जैसे दास-प्रथा, नारी की अवनत अवस्था के . विरूद्ध एवं राजाओं के स्वेच्छाचारी एवं नृशंस-जीवन से प्रजा को मुक्ति दिलाने के लिए किया गया था। कोशांबी नगरी के कामुक (शतानीक)राजा ने पड़ौस की चंपानगरी के राजा स्नेनकेवल (दधिवाहन) से न केवल सुवर्ण, धन, माल, लूटा एवं रक्तपात किया, वरन उसकी रूपवती पत्नि को जो कोशांबी नरेश की ही सम्बन्धी थी और उसकी पुत्री राजकुमारी चंदनबाला का भी अपहरण किया। चंदन बाला को उड़ाने वालों ने, एक श्रेष्ठी धन्ना के यहाँ उसे विक्रय किया, जिसे धन्ना सेठ की पत्नि ने इर्ष्या वश बंदी बनाकर तलघर में रखा। राजा से रंक तक कोशाम्बी नगरी में सभी चिंतातुर हो गये कि महावीर किसी से भी अन्न ग्रहण क्यों नहीं कर रहे हैं ? किसके पापों का यह परिणाम है? अन्त में अपने सभी अभिग्रह पूर्ण होने पर उसी दासी बनी चंदनबाला से बाकुले ग्रहण कर पारण किया। आत्म विजय का एवं हृदयमंथन का यह श्रेष्ठतम् उदाहरण हो सकता है। इसी प्रकार साधना काल की अंतिम अवधि में पुनः ग्वाले द्वारा अपने बैल उन्हें सौंपे जाने व लौटने पर बैल न मिलने पर वह अनुत्तर-महावीर पर भंयकर क्रोध से आगबबूला हो गया, उसने कहा, "क्या तुम्हारे कान मिट्टी के प्याले हैं, उनमें तेल डाला है? बार-बार पूछने पर भी तुम उत्तर नहीं देते, न ही संकेत करते हो। इन कानों का तुम्हें कोई लाभ नहीं।" कहकर कोई भयंकर
SR No.002322
Book TitleJaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2013
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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