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नशामुक्ति शिविर एक अनुभव/220
ब्राउनशुगर का बड़ा बाजार बन रहा है। आश्चर्य नहीं स्थानीय नेताओं द्वारा इस क्षेत्र में बनाये जाने वाले मेन्ड्रेक्स के अवैध कारखाने पकड़े गये हैं एवं इससे प्रेरित व्याभिचार के दोषी रंगे हाथों पकड़े जाने पर कत्ल के जुर्म में जेल में
4. इस क्षेत्र मे आश्चर्य है, वर्षों से अफीम तस्करी का अवैध
व्यापार खुलकर हो रहा है। यह आम चर्चा है कि तस्कर जीप भरकर अफीम चित्तौड़ से लाते हैं। इन्हें राजनीतिक संरक्षण कदाचित प्राप्त है। इनके सम्बन्धी राज्य के राजनीति में उच्च पद पर रहे हैं, कई क्वींटल में अफीम तस्करी कर उसमें पशुओं के खाने का गुड़, तथा ऊँट का मूत्रादि मिलाकर उसकी मात्रा लगभग चौगुनी या अधिक कर लेना बताया जाता है। इस अपमिश्रित माल की रीटेर्ल्स को किलों में तथा वे अपने स्तर पर घर घर ऐसे अफीमचियों को लगभग पैंतीस या अधिक रूपये तोले के मंहगे मूल्य पर बेचकर लाभ कमाते है। काश नागरिक- पुलिस-प्रशासन,
अब भी इस ओर विशेष ध्यान देकर दोषियों को दंडित करें। 5. इस लत के शिकार लोग अफीम प्राप्त करने के लिए उनके
जीवन स्तर की तुलना में कई ज्यादा व्यय करते हैं। ये अत्यन्त दयनीय स्थिति के लोग होते हैं। मैने स्वयं प्रयास कर दो-तीन अनुसूचित जाति के व्यवसयियों को अफीम मुक्ति के लिए प्रेरित किया जो टूटे फूटे छप्परों में दयनीय स्थिति में सालावास में रहते थे, जिनके परिवार में निराशा का अंधकार था। जब ग्यारह दिन चले शिविर समारोह में इन्होंने भी अन्य के साथ उत्साह पूर्वक भाग लिया। निःसन्देह ऐसा लगता था कि वे सभी 10-10 वर्ष युवा हो चुके हैं। उनमें आशा की मुस्कान थी, शरीर में शक्ति थी एवं मुख पर ओज था। मन एवं दिमाग से स्वस्थ, स्थिर एवं संकल्पवान थे। कहते है अमेरीका में हीरोईन सेवन करने पर