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________________ 219/जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार समाज के अन्य कितने और युवाओं को अपने इस व्यसन का शिकार करेंगे। 2. विश्वस्त सूत्रों से विदित हुआ है कि इस क्षेत्र के कई गांवों में 30 प्रतिशत व्यसनी हैं। मोगड़ा गांव जो जोधपुर से केवल 14 किलोमीटर दूर राजमार्ग पर स्थित है, वहाँ इससे भी अधिक प्रतिशत व्यसन के आदि बताये गये हैं। शिवरार्थी अन्य गांव लूणी, सतलाना, सालावास, से आये । इन सभी एवं आसपास के अन्य गांवों में भी बहुतायत से अफीमची हैं। जिन्हें आदत के कारण प्रतिदिन आधा तौला या कुछ कम या इससे भी अधिक तौला अफीम सेवन करनी पड़ती है। हजारों की संख्या में ऐसे लोग अभी इस क्षेत्र में हैं। जहाँ माणकलाव आदि के प्रयास से इस दिशा में सराहनीय कार्य किया गया है। वहाँ समस्या अभी सुरसा के मुँह की तरह खुली हुई है। भारत में नशाग्रस्त लोगों का औसत 1 प्रतिशत है, वहाँ इस अभिशप्त क्षेत्र में यह पुरूषों में औसत बीस गुणा या अधिक हो सकेगी। सर्वेक्षण से और निश्चितता आयेगी। स्वतंत्र भारत में यहाँ के लोगों की स्थिति एड्स की बीमारी की तरह हृदय दहलाने वाली है। लाल चीन होने के . पूर्व चीन अफीमचियों का देश कहलाता था। किस प्रकार उन्होंने इस बुराई पर काबू पाया उनसे अवश्य ही कुछ सीखा जा सकता है। 3. शायद सब को विदित होगा कि अफीम के आदि लोग रूग्ण, पीतवर्ण, निस्तेज, कमजोर, अनिश्चित मानस, अस्थिर-प्रकृति एवं कई बीमारियों से ग्रस्त पाये जाते हैं। अक्सर उनमें क्षय रोग ग्रस्त, कभी हृदय रोगी आदि भी मिलते हैं। यदि ये अनियंत्रित रहे तो दूसरे व्यसन–धुम्रपान, अधिक चाय सेवन के साथ, अन्य नशे पते जैसे हीरोईन, लिब्रियम, कम्पोज का सेवन भी बढ़ सकता है। भारत वैसे भी मादक वस्तुओं जैसे बेन्जोडीएनपाईन्स, मेन्ड्रेक्स, बार्बेरेट्स
SR No.002322
Book TitleJaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2013
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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