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________________ 195/जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार एवं ज्ञानावरणीय कर्म बंधते हैं, उसका फल-मंद-बुद्धि, विद्या, पढ़ने से अनिच्छा होंगे। इसी प्रकार सब पर अनुकम्पा भाव रखने, .. साता देने से, हमें साता वेदनीय-कर्म का बंधन होता है या सुख मिलता है, इससे विपरीत क्लेश करने, सताने से, क्रन्दन व वध करने से असाता मिलेगी। कषायों के तीव्र उदय करने से मोहनीय कर्म का बंधन होता है, अतः इन कषायों का निग्रह करना चाहिये। आज कषायों में बहजाने से क्रिया-प्रतिक्रिया करने से, आंतकवाद बढ़ा है; सर्व संहारकारी अणुबमों के ढेर पर दुनिया बैठी है। ऐसे अन्य दुर्गुणों को मिटाने के भी उपाय हैं। सरलता रहित, वक्र-संवाद करने से, अशुभ नाम अर्जित होता है व स्व प्रशंसा करने से, दूसरे के गुणों को एवं अपने अवगुणों को छुपाने से, नीच गोत्र प्राप्त होती है। बहुत पाप कर धन संग्रह से नरक गति एवं सद्गुणों एवं कार्य में अंतराय बाधा पहुँचाने से हमें भी लाभ, सुख की अप्राप्ति एवं अच्छे कार्यों में अनुत्साह मिलेगा। बार-बार प्रयास करने से क्या प्राप्त नहीं होता? अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जेम्स फ्रेंकलीन ने अपने चारित्र में कमियों की सूची बनाई एवं एक एक दोष को दूर करने के लिए बिना चूक के 21-21 दिन त्रुटि रहित प्रयोग कर, उन सब कमियों को दूर किया। - अमेरीकी पूर्व राष्ट्रपति बुश ने बताया वे 1984 में शराब की लत में इतने अधिक आदि हो गये थे कि स्वास्थ्य की गिरावट के अलावा परिवार से भी दूर हो रहे थे। उन्हें तभी इस स्थिति का भान हुआ और तब से अब तक शराब से दूर रहें। उन्होंने कहा इसी का परिणाम है कि वह आज यहाँ है, अर्थात् राष्ट्रपति हैं। एमर्सन ने कहा कि “Every one I meet, is in some way superior to me". गुण ग्रहण के अपनाने की यह अपूर्व मिसाल है। सब में अच्छाइयाँ देखकर उन्हें लेना है। मनुष्य जन्म दुर्लभ है, देवता भी मनुष्य जन्म में आकर अहिंसा, सत्य, संयम, तप,
SR No.002322
Book TitleJaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2013
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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