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________________ 193/जैनों का संक्षिप्त इतिहास, दर्शन, व्यवहार एवं वैज्ञानिक आधार संत कबीर ने भजनों में गाया है। "झीनी, झीनी, बीनी चदरिया, सुक्ष्मतार से तीनी चदरिया। ये चादर सुर, नर, मुनि, ओढ़ी; ओढ के मैली कीनी चदरिया। दास कबीर जतन से ओढी ज्यों की त्यों धर दीनी चदरिया। कबीर के दोहों पर मूलतः आधारित गीतांजली है, जिस पर रवीन्द्रनाथ ठगुकर को नोबल पुरस्कार मिला। अनासक्ति के बारे में भोलेनाथ शिशु को संबोधन करते लिखा है। "Teach me the game of unconcern (अनासक्ति ), the game of making and breaking of toys". सजन भी वे एवं प्रलय भी वे ही कर सकते हैं। श्रीराम कृष्ण परम हंस पोथियों के पंडित नहीं बल्कि विरक्त, आत्मलीन, उपकारी थे, जिनके लिए उनके शिष्य विवेकानन्द ने कहा है, "जो कुछ अभिव्यक्ति के या अन्य दोष हैं, मुझमें हैं, मेरे गुरु में किंचित मात्र दोष नहीं।" वे गंगा मैया में गोते लगाते उससे लिपट कर शिशुवत रोते। ____ गाँधीजी ने श्रीमद् राजचन्द्र को अपना आध्यत्मिक गुरु माना है। उन्होने मनुष्य को सद्भागी या दुर्भागी मानने के कुछ परख तत्व (Touch-Stone) बताये हैं। दुर्भागी वे हैं जिनमें "नहीं कषाय-उपशांतता, ना अन्तर-वैराग्य सरलपणु नय मध्यस्थता ते कुमति दुर्भाग्य। दया , शान्ति , समता , क्षमा , सत्य , त्याग , वैराग्य , जे मुमुक्षु घट विषे, ते सुमति सुभाग्य ।" ये उपरोक्त गुण हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। रामायण के मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम इनके प्रतीक हैं। महावीर, बुद्ध, कबीर नानक, मीरा, तुकाराम ने आदर्शों को चरितार्थ किया है। अहिंसा एवं सत्य का समावेश करते हुए उसे वीरों की अहिंसा बनाया है, कायरों की नहीं। ____इन मूल्यों के बावजूद, कलयुग में मशीनीकरण के बढ़ते विशाल उत्पादन, तथा तदनुरूप भोगवादी (Consumerism) संस्कृति के वैश्वीकरण के कारण पृथ्वी का अभूतपूर्व दोहन हुआ है। वास्तव में यह भू मण्डल हमे विरासत में प्राप्त नहीं हुआ है
SR No.002322
Book TitleJaino Ka Itihas Darshan Vyavahar Evam Vaignanik Adhar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChhaganlal Jain, Santosh Jain, Tara Jain
PublisherRajasthani Granthagar
Publication Year2013
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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