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क्रमाङ्क
सूक्ति नम्बर
सूक्ति शीर्षक
580
143
क्षणभर भी आनन्द नहीं क्षमा-सेवन
581
465
.582
99
252
583 584
त्रिविध-क्षमा त्रिविध-मूर्ख त्रिवेणी-सङ्गम विवाद
272
585
438
586
539
त्रुटि स्वीकार, भवपार
589
587
ज्ञानी का सार 588
ज्ञानलीनता
ज्ञान-पीयूष में आकण्ठ मग्न 590
ज्ञान में भी निरभिमान 591
ज्ञान बिन चारित्र नहीं 592
ज्ञानयुत आचरण 593 95
ज्ञान-शिक्षण 594 112
ज्ञान, लगाम 595 119
ज्ञान, परममित्र 596 256
ज्ञान-प्रकाश 597 269
ज्ञान, भारभूत 598 270
ज्ञान-क्रिया : अन्धपंगुवत् 599 273
ज्ञान, प्रकाशक 600 327
ज्ञाता-द्रष्टा 601 364
ज्ञान का सार 602
ज्ञानी निर्ममत्व 441
ज्ञान-गरिमा 604 443
ज्ञान से चारित्र 605 444
ज्ञान, प्रकाशक अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-6 • 265
417
603